उत्तराखंड पहला राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने वाला है। बताया जाता है कि नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस पर इसे लागू किया जा सकता है। सरकार का दावा है कि यूसीसी का लाभ लेने के लिए न सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ेंगे, न ही फॉर्म भरने होंगे। नियम और क्रियान्वयन को अंतिम रूप देने वाली विशेष समिति के अनुसार यूसीसी पोर्टल को आधार, पैन कार्ड, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) समेत सभी प्रमुख सेवाओं से जोड़ दिया जाएगा। यूसीसी से संबंधित किसी भी आवेदन के दस्तावेजों का सत्यापन अन्य विभागों के जरिए हो सकेगा।
तुरंत हो जाएगा सत्यापन
सरकार का कहना है कि यूसीसी पोर्टल पर आवेदन करने वाले का आधार, पैन, जन्म-मुत्यु प्रमाण पत्र, संपत्ति आदि दस्तावेजों का सत्यापन यूसीपी पोर्टल से संबंधित विभागों से जुड़े होने से फौरन हो जाएगा। दस्तावेज का नंबर डालते ही सत्यापन सुनिश्चित हो जाएगा। इन कामों के लिए अलग-अलग कार्यालयों से संपर्क नहीं करना होगा।
नया कानून 99 प्रतिशत तैयार
यूसीसी का पोर्टल 99 प्रतिशत तैयार है, जिसकी सेवाएं राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के सिक्योर डाटा सेंटर के जरिए दी जाएंगी। हाल में राज्य के डाटा सेंटर में साइबर हमला हुआ, उस लिहाज से यूसीसी को एनआईसी के भरोसेमंद प्लेटफॉर्म से जारी किया जाएगा।
विधायी की मोहर लगते ही लागू होगा कानून
समिति ने फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर अभी तक लगभग 140 बैठक करने पश्चात नियमों को अंतिम रूप दिया। नियमों को प्रिंट करके अगले 4 दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह को भेजा जाएगा। इसके बाद शासन उन्हें विधायी के पास भेजेगा। विधायी उसके तकनीकी पहलुओं को जांचने के बाद मोहर लगाएगी, फिर कैबिनेट द्वारा लागू कर दिया जाएगा। यूसीसी लागू होने के बाद सबसे पहले मई 2025 तक तलाक, विवाह और लिव इन रिलेशन के पंजीकरण कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। पोर्टल से निशुल्क वसीयत कराने की सुविधा दी जाएगी, ताकि सभी धर्मों में उत्तराधिकार कानून का समान रूप से पालन हो सके और संपत्ति विवादों का हल निकले।