केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए जातिगत जनगणना संबंधी नोटिफिकेशन को लेकर कांग्रेस ने तीखे सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने इस नोटिफिकेशन को “निराशाजनक” बताते हुए आरोप लगाया है कि सरकार ने जातिगत जनगणना के अपने वादे से यू-टर्न ले लिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह नोटिफिकेशन पूरी तरह से जातिगत जनगणना के उद्देश्य को विफल करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने केवल आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण की बात की है, जबकि जातिगत जनगणना के मूल उद्देश्य, यानी विभिन्न जातियों की सटीक संख्या और उनकी वास्तविक स्थिति का आकलन करने से किनारा कर लिया है।
जीवन स्तर को लेकर गंभीर नहीं सरकार
कांग्रेस ने पूछा कि क्या सरकार दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों की वास्तविक संख्या और उनके जीवन स्तर को लेकर गंभीर नहीं है? पार्टी ने दावा किया कि यह कदम सरकार की “सामाजिक न्याय विरोधी” मानसिकता को दर्शाता है। प्रवक्ता ने कहा, “यह नोटिफिकेशन सिर्फ आंकड़ों का संग्रह है, न कि सच्ची जातिगत जनगणना, जिसकी देश को जरूरत है।”
सभी जातियों की गणना की जाए
कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार को अपने वादे पर कायम रहते हुए एक व्यापक और प्रभावी जातिगत जनगणना करानी चाहिए, जिसमें सभी जातियों की गणना की जाए और उनके सामाजिक-आर्थिक संकेतकों को भी शामिल किया जाए। पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अपना रुख नहीं बदला, तो वे इस मुद्दे को संसद और जनता के बीच मजबूती से उठाएंगे। यह मुद्दा ऐसे समय में उठा है जब देश में विभिन्न राजनीतिक दल जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, ताकि योजनाओं और आरक्षण का लाभ लक्षित समूहों तक पहुंचाया जा सके। सरकार के इस नोटिफिकेशन के बाद, विपक्ष और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा इस पर और अधिक तीखी प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है।