अमेरिका के वाशिंगटन स्थित इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की बुधवार को एक संदिग्ध आतंकवादी हमले में हत्या कर दी गई, जिससे राजधानी में हडक़ंप मच गया है। इस घटना ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की क्षमताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसे दुनिया की सबसे प्रभावी खुफिया एजेंसियों में से एक माना जाता है। यह घटना दूतावास परिसर के बाहर हुई जब दो कर्मचारी, जिनकी पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, अपने काम से लौट रहे थे। हमलावर ने उन पर गोलीबारी की और फरार हो गया। पुलिस ने तुरंत इलाके की घेराबंदी कर दी और हमलावर की तलाश जारी है। एफबीआई भी मामले की जांच में स्थानीय अधिकारियों का सहयोग कर रही है।
नेतन्याहू ने कहा-कायरतापूर्ण आतंकवादी कृत्य
इस घटना पर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गहरा दुख व्यक्त किया है और इसे इजरायल के खिलाफ एक कायरतापूर्ण आतंकवादी कृत्य बताया है। उन्होंने कहा कि इजरायल इस हमले के पीछे के अपराधियों को ढूंढने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
मोसाद की विफलता पर सवाल
इस घटना ने तुरंत मोसाद की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मोसाद को आमतौर पर दुनिया भर में इजरायली हितों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में वाशिंगटन जैसे हाई-प्रोफाइल शहर में, जहां इजरायली दूतावास उच्च सुरक्षा वाला क्षेत्र होना चाहिए, इस तरह के हमले का होना मोसाद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला मोसाद की खुफिया जानकारी एकत्र करने और खतरों का अनुमान लगाने की क्षमता में एक गंभीर चूक को दर्शाता है। यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा पर्याप्त थी, और क्या संभावित खतरों के बारे में पहले से कोई खुफिया जानकारी मौजूद नहीं थी जिसे रोका जा सके।
इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के बीच घटना
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर है, और इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के कारण दुनिया भर में यहूदी और इजरायली प्रतिष्ठानों पर खतरे बढ़ रहे हैं। इस हमले से वाशिंगटन और अन्य पश्चिमी राजधानियों में इजरायली मिशनों और कर्मियों की सुरक्षा समीक्षा की मांग उठ सकती है। अधिकारियों ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि क्या इस हमले का संबंध किसी विशिष्ट समूह या संगठन से है, लेकिन जांच जारी है।