अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 70 देशों के खिलाफ “टैरिफ” लागू करके वैश्विक व्यापार में एक बार फिर से हलचल मचा दी है। इस फैसले से भारत पर 25% का टैरिफ लगाया गया है, जो सबसे कठोर दरों में से एक है। इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव काफी बढ़ गया है।
भारत की अडिगता और तकरार की वजह
ट्रंप प्रशासन भारत पर अमेरिकी उत्पादों पर लगे उच्च शुल्कों को कम करने का दबाव बना रहा था, विशेष रूप से डेयरी और कृषि क्षेत्र में। अमेरिका चाहता था कि भारत ऐसे उत्पादों के लिए अपने बाजार खोले, जिनमें ऐसी गायों का दूध और मांस भी शामिल था जिन्हें मांस खिलाया जाता है। भारत ने धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के कारण इस मांग को मानने से साफ इनकार कर दिया, जिससे व्यापारिक वार्ता में तकरार बढ़ गई। भारत ने अपने घरेलू किसानों और उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए अपनी स्थिति पर अडिग रहने का फैसला किया।
एफ-35 लड़ाकू विमान पर भारत का इनकार
व्यापारिक तकरार के बीच, रक्षा क्षेत्र में भी तनाव देखने को मिला है। भारत ने अमेरिका के F-35 लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए गए हैं। पहला, F-35 का रखरखाव बहुत महंगा है, जिसे भारत “सफेद हाथी” मान रहा है। दूसरा, अमेरिका F-35 की तकनीक का हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) नहीं करता, जबकि भारत अब केवल ऐसे रक्षा सौदों में रुचि रखता है जिनमें सह-उत्पादन और तकनीक का हस्तांतरण शामिल हो। यह कदम भारत की “आत्मनिर्भर भारत” नीति के अनुरूप है और अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। भारत के इस फैसले से रूस से Su-57 स्टील्थ जेट खरीदने का रास्ता भी खुल गया है, जिसमें रूस तकनीक साझा करने को तैयार है।