अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के प्रस्ताव की उनके ही देश में कड़ी आलोचना हो रही है। अमेरिका में उनके समर्थक और विरोधी, दोनों ही इस फैसले को “रणनीतिक आपदा” बता रहे हैं। उनका मानना है कि यह कदम न केवल भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों को भी फायदा पहुंचा सकता है।
पक्ष-विपक्ष दोनों ने उठाए सवाल
यूएस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेट्स ने एक ट्वीट में ट्रंप के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप रूस से तेल खरीदने वाले सभी देशों पर टैरिफ लगाते, तो यह एक सुसंगत नीति हो सकती थी, लेकिन केवल भारत पर निशाना साधना एक भ्रामक और गलत नीति है। आलोचकों का तर्क है कि भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए। ऐसे में, भारत को दंडित करने का कोई भी प्रयास अमेरिका के अपने रणनीतिक हितों के खिलाफ होगा।
चीन को क्यों बख्शा?
कई विश्लेषकों ने यह भी सवाल उठाया है कि ट्रंप ने चीन को क्यों बख्शा, जबकि चीन भी रूस से बड़ी मात्रा में ऊर्जा आयात करता है। यह दोहरा मापदंड ट्रंप की नीति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। आलोचकों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम है, जिसका वास्तविक विदेश नीति या आर्थिक तर्क से कोई लेना-देना नहीं है। यह कदम भारत को अमेरिका से दूर कर सकता है और चीन के करीब ला सकता है, जो अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका होगा।
कुल मिलाकर, ट्रंप का भारत पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव अमेरिका में एक बड़ी बहस का विषय बन गया है, जिसमें उनकी विदेश नीति की रणनीतिक समझ पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।