मध्य पूर्व में जारी तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच “पूर्ण और अंतिम संघर्ष विराम” की घोषणा कर वैश्विक पटल पर हलचल मचा दी है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दावा किया कि दोनों देश खुद उनके पास आए और शांति की गुहार लगाई, जिसके बाद यह समझौता संभव हो पाया।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “इजरायल और ईरान मेरे पास आए और शांति की गुहार लगाई। यह एक ऐसा युद्ध था जो वर्षों तक चल सकता था और पूरे मध्य पूर्व को तबाह कर सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कभी नहीं होगा।” उन्होंने इस समझौते के लिए इजरायल और ईरान दोनों को उनकी “सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता” के लिए बधाई दी। ट्रंप ने यह भी उल्लेख किया कि यह निर्णय ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद आया है, जो संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
हालांकि, ट्रंप के इस दावे पर ईरान की ओर से तत्काल और विरोधाभासी प्रतिक्रिया आई है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति के “सीजफायर” के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। ईरानी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इजरायल के साथ उनके देश का कोई आधिकारिक युद्धविराम समझौता नहीं हुआ है।
ईरान ने कहा, “हमने इजरायल को जवाबी कार्रवाई के तहत निशाना बनाया है और अब हिसाब बराबर हो गया है। अगर इजरायल हमला बंद करता है तो हम भी अपनी जवाबी कार्रवाई बंद कर देंगे, लेकिन कोई औपचारिक सीजफायर नहीं हुआ है।” ईरानी विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि मौजूदा स्थिति में किसी भी युद्धविराम पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।
यह घटनाक्रम स्थिति को बेहद जटिल बना रहा है। जहां एक ओर ट्रंप खुद को शांतिदूत के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं ईरान उनके दावों को स्पष्ट रूप से नकार रहा है। वैश्विक समुदाय इस बात पर करीब से नजर रख रहा है कि क्या यह घोषणा वास्तव में मध्य पूर्व में स्थायी शांति की ओर ले जाएगी, या यह केवल कूटनीतिक चालों का एक और अध्याय है। इजरायल की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे स्थिति की अनिश्चितता और बढ़ गई है।