अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा करके एक बड़ा व्यापारिक झटका दिया है। यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर उनकी नाराजगी का परिणाम है। ट्रंप प्रशासन ने पहले 25% टैरिफ लगाया था और अब 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया है। इस फैसले की भारत के विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है और सरकार से इस पर जवाब मांगा है।
इस घटनाक्रम के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के दौरे पर जाएंगे। यह 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद उनका पहला चीन दौरा होगा। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है और भारत अपनी विदेश नीति में किसी एक गुट का पक्ष लेने के बजाय बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दे रहा है।
माना जा रहा है कि एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक हो सकती है। इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा और सीमा विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। यह यात्रा भारत के लिए एक कूटनीतिक संदेश भी है कि वह अपनी नीतियों का निर्धारण अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार करेगा, न कि किसी बाहरी दबाव के तहत।