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    ट्रंप प्रशासन ने 85,000 वीज़ा किए रद्द, भारतीय H-1B आवेदकों के इंटरव्यू टले

    अमेरिका में अवैध आव्रजन (Illegal Immigration) और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस साल जनवरी से अब तक 85,000 से अधिक वीज़ा रद्द कर दिए हैं। इस सख्ती के कारण भारतीय पेशेवर और छात्र भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, खासकर H-1B वीज़ा आवेदकों के इंटरव्यू बड़ी संख्या में रद्द कर दिए गए हैं, जिससे उनकी भविष्य की योजनाओं पर संकट गहरा गया है।

    वीज़ा रद्द करने में भारी बढ़ोतरी

    अमेरिकी विदेश विभाग ने इस बात की पुष्टि की है कि जनवरी 2025 से अब तक 85,000 से अधिक गैर-अप्रवासी वीज़ा रद्द किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी से अधिक संख्या है।

    • वीज़ा रद्द करने के प्रमुख कारणों में वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रुकना (Overstay), आपराधिक चिंताएँ (जैसे DUI, मारपीट, चोरी), और आतंकवाद का समर्थन शामिल हैं।
    • रद्द किए गए वीज़ा में 8,000 से अधिक छात्र वीज़ा (Student Visas) शामिल हैं। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन गाजा विरोध प्रदर्शनों में शामिल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी निशाना बना रहा है, जिन पर यहूदी-विरोधी गतिविधियों का आरोप है।

    H-1B आवेदकों के लिए बढ़ी परेशानी

    ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में H-1B और H-4 वीज़ा आवेदकों के लिए 15 दिसंबर से सोशल मीडिया स्क्रीनिंग को अनिवार्य कर दिया है। इस नई नीति के चलते भारतीय कांसुलेट (Hyderabad और Chennai सहित) में नियुक्तियों को रद्द करने और टालने का सिलसिला शुरू हो गया है।

    • आप्रवासन वकीलों के अनुसार, दिसंबर 2025 के मध्य से अंत तक निर्धारित कई H-1B और H-4 वीज़ा अपॉइंटमेंट मार्च 2026 तक के लिए टाल दिए गए हैं।
    • अधिकारियों ने इंटरव्यू स्लॉट रद्द करने का मुख्य कारण नई स्क्रीनिंग नीति के तहत प्रतिदिन कम आवेदकों का साक्षात्कार करने की आवश्यकता को बताया है।
    • जिन भारतीय पेशेवरों को नई नौकरी शुरू करनी थी, या जो भारत में संक्षिप्त दौरे के बाद वीज़ा स्टैम्पिंग के लिए लौटे थे, वे अब अमेरिका लौटने को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

    इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने नए H-1B आवेदनों के लिए $100,000 (लगभग ₹88 लाख) का एकमुश्त शुल्क लगाने जैसे कड़े कदम भी उठाए हैं, जिसका सबसे बड़ा असर भारतीय आईटी पेशेवरों पर पड़ रहा है।

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