आज सोमवार है और इसके साथ ही फाल्गुन महीने की आमलकी एकादशी का भी संयोग बना है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ही कृपा का लाभ मिलता है।चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में गोचर करते हुए गौरी योग का निर्माण करेंगे और पुष्य नक्षत्र के साथ रविपुष्य योग और शोभन योग का भी शुभ संयोग बनने जा रहा है। ऐसे में मेष, मिथुन, कर्क, धनु और कुंभ राशि के लोगों के लिए भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा से लाभदायक होगा और इन्हें नौकरी कारोबार में उन्नति एवं लाभ का मौका मिलेगा।
सभी पापों से मुक्त करता है व्रत
पांडव श्रेष्ठ युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व जाना था। श्रीकृष्ण ने राजा मान्धाता और वशिष्ठ के संवाद के रूप में यह कथा सुनाई थी। वशिष्ठ ने बताया कि भगवान विष्णु के मुख से एक चंद्रमा के समान कांतिमान बिंदु पृथ्वी पर गिरा। इस बिंदु से आमलकी वृक्ष उत्पन्न हुआ। यह सभी वृक्षों का मूल है जो कि पापों का नाश करता है। आमलकी वृक्ष विष्णु को अति प्रिय है। इसके स्मरण से गोदान का फल मिलता है, स्पर्श से दोगुना और फल खाने से तिगुना पुण्य प्राप्त होता है। सुबह विष्णु के नाम का जाप करते हुए आमलकी वृक्ष की 108 या 25 परिक्रमा करनी चाहिए। आरती कर ब्राह्मण को भोजन कराकर यथोचितत सामग्री दान कर देनी चाहिए। आमलकी वृक्ष की परिक्रमा और स्पर्श करके स्नान करना चाहिए और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराकर खुद भोजन करना चाहिए। माना जाता है कि इस व्रत से सभी तीर्थों के दर्शन और सभी दानों के बराबर फल मिलता है। यह सभी व्रतों में उत्तम है। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से भी इस व्रत को करने का आग्रह किया था, क्योंकि यह व्रत सभी पापों से मुक्त करता है।