More
    HomeHindi NewsEntertainmentअंग्रेजों से लड़ते टीपू सुल्तान ने पाई थी शहादत.. चार्ली चैपलिन को...

    अंग्रेजों से लड़ते टीपू सुल्तान ने पाई थी शहादत.. चार्ली चैपलिन को मिला था सम्मान

    देश-दुनिया के इतिहास में 4 मई की तारीख कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। ठीक 226 साल पहले 1799 में मैसूर साम्राज्य के पराक्रमी शासक टीपू सुल्तान की श्रीरंगपत्तनम की लड़ाई में मौत हो गई थी। यह लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मैसूर साम्राज्य के बीच चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध का निर्णायक क्षण साबित हुई। टीपू सुल्तान, जिन्हें मैसूर का शेर के नाम से भी जाना जाता है, एक दूरदर्शी और साहसी योद्धा थे। उन्होंने अपनी प्रशासनिक और सैन्य क्षमताओं से मैसूर को एक शक्तिशाली राज्य के रूप में स्थापित किया था। टीपू ने अंग्रेजों के विस्तारवादी मंसूबों का डटकर मुकाबला किया और अपनी मृत्यु तक उनके सामने घुटने नहीं टेके। श्रीरंगपत्तनम, जो मैसूर की राजधानी थी, इस युद्ध का केंद्र बिंदु बन गई थी। ब्रिटिश सेना ने घेराबंदी कर किले पर हमला कर दिया था। टीपू सुल्तान ने अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए बहादुरी से मुकाबला किया, लेकिन अंतत: उन्हें हार का सामना करना पड़ा और युद्ध के मैदान में ही उनकी मृत्यु हो गई।

    मैसूर पर ब्रिटिश नियंत्रण स्थापित हो गया

    टीपू सुल्तान की मौत भारतीय इतिहास में एक युग का अंत था। उनकी वीरता और अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्ष को आज भी याद किया जाता है। उनकी मृत्यु के बाद मैसूर पर ब्रिटिश नियंत्रण स्थापित हो गया, जिससे दक्षिण भारत में कंपनी की शक्ति और मजबूत हुई। आज के दिन, टीपू सुल्तान की शहादत को याद किया जाता है। उन्हें एक ऐसे शासक के रूप में सम्मानित किया जाता है जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनकी कहानी साहस, देशभक्ति और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ प्रतिरोध का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। हालांकि कुछ लोग उन्हें क्रूर भी बताते हैं।

    चार्ली चैपलिन को नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया

    4 मई, 1975 का दिन सिनेमा जगत के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। इसी दिन मूक फिल्मों के महानतम सितारों में से एक, चार्ली चैपलिन को बकिंघम पैलेस में नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। यह उपाधि उन्हें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने प्रदान की थी। चार्ली चैपलिन, जिन्होंने द किड, गोल्ड रश, सिटी लाइट्स और द ग्रेट डिक्टेटर जैसी अविस्मरणीय फिल्मों में अपने अभिनय और निर्देशन से पूरी दुनिया को हंसाया और रुलाया, को कला और मनोरंजन के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए यह सम्मान मिला था। हालांकि चैपलिन ने लंबे समय तक संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना करियर बनाया, लेकिन उनका जन्म लंदन में हुआ था। नाइट की उपाधि मिलने के समय उनकी उम्र 86 वर्ष थी और वह व्हीलचेयर पर थे। इस सम्मान को प्राप्त करने के लिए वह अपनी पत्नी ओना ओ नील और अपने बेटे चाल्र्स जूनियर के साथ बकिंघम पैलेस पहुंचे थे। नाइट की उपाधि मिलना चैपलिन के शानदार करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था और यह उनके वैश्विक प्रभाव और कलात्मक प्रतिभा का एक प्रमाण था। आज भी उनकी फिल्में और उनका किरदार द ट्रैम्प दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करते हैं।

    ये भी हैं अहम घटनाएं

    • 1854 में 4 मई के दिन ही भारत की पहली डाक टिकट को औपचारिक तौर पर जारी किया गया।
    • 1896 में लंदन डेली मेल का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ था।
    • 1924 में पेरिस में आठवें ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई थी।
    • 1945 में जर्मनी की सेना ने नीदरलैंड, डेनमार्क और नार्वे में आत्मसमर्पण किया था।
    • 1959 में पहले ग्रैमी अवॉड्र्स का आयोजन हुआ था।
    • 1979 में मार्गेरेट थैचर को ब्रिटेन की प्राइम मिनिस्टर चुना गया था और पूरे यूरोप में वह यह पद संभालने वाली पहली महिला थीं।
    • 1980 में जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति नेता रॉबर्ट मुगाबे ने चुनाव में भारी जीत हासिल की और प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने थे।
    • 1980 में कोल माइंस डे के तौर पर मनाने की घोषणा की गई थी।
    • 1983 में चीन ने परमाणु परीक्षण किया था।
    • 2006 में नेपाल के माओवादी विद्रोहियों ने देश की नई सरकार के साथ शांति वार्ता में भाग लेने पर सहमति जताई थी।
    RELATED ARTICLES

    Most Popular

    Recent Comments