संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों उम्मीदवार IAS अधिकारी बनने का सपना देखते हैं, लेकिन इनमें से केवल कुछ सौ ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं। आज हमारे पास कई प्रेरणादायक महिला IAS अधिकारी हैं, जैसे टीना डाबी, लेकिन इनके बीच एक ऐसी शख्सियत भी हैं जिन्होंने सबसे पहले इस राह पर कदम रखा और अन्य महिलाओं के लिए रास्ता बनाया: भारत की पहली महिला IAS अधिकारी, अन्ना राजम मल्होत्रा।
अन्ना राजम मल्होत्रा की जिंदगी थी ऐसी
अन्ना राजम मल्होत्रा का जन्म 1927 में केरल के नीरानम में हुआ था। वह प्रसिद्ध मलयालम लेखक पाइलो पॉल की पोती थीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केरल के कालीकट में की और बाद में प्रोविडेंस महिला कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1949 में मद्रास विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की डिग्री हासिल की।
सिविल सेवा में प्रवेश और चुनौतियाँ
1950 में, अन्ना राजम मल्होत्रा ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की, हालांकि उन्हें प्रशासनिक सेवा के बजाय विदेश सेवा या केंद्रीय सेवा चुनने की सलाह दी गई थी, जो उस समय महिलाओं के लिए अधिक उपयुक्त मानी जाती थीं। लेकिन अन्ना ने इस सामान्य धारणाओं को चुनौती दी और प्रशासनिक सेवा में जाने का फैसला किया।
प्रथम नियुक्ति और साहसिक निर्णय
उनकी पहली नियुक्ति मद्रास के तत्कालीन मुख्यमंत्री सी राजगोपालाचारी के अधीन हुई थी। शुरुआत में उन्हें ज़िला उप-कलक्टर की भूमिका देने में हिचकिचाहट थी और उन्हें सचिवालय में पद देने की पेशकश की गई थी। लेकिन अन्ना ने इस चुनौतीपूर्ण भूमिका को निभाने की ठानी और अंततः उन्हें मद्रास राज्य के तिरुपत्तूर में उप-कलक्टर के रूप में नियुक्त किया गया।
प्रेरणा का प्रतीक
अन्ना राजम मल्होत्रा का दृढ़ संकल्प और उनके द्वारा हासिल की गई उपलब्धियाँ भारतीय इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय बन गईं। उन्होंने न केवल अपने लिए एक स्थान बनाया, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया जो सिविल सेवा में शामिल होने का सपना देखती हैं। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि अगर आपके पास हौसला और दृढ़ संकल्प है, तो आप किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं और अपनी मंजिल तक पहुँच सकते हैं।
समाज को दिया संदेश
अन्ना राजम मल्होत्रा जैसी प्रेरणादायक महिलाएँ हमें यह सिखाती हैं कि सामाजिक बाधाएँ और पुरानी धारणाएँ हमारे सपनों को रोक नहीं सकतीं। हमें केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की आवश्यकता है। उनके साहसिक निर्णय और अद्वितीय उपलब्धियाँ आज भी लाखों महिलाओं को प्रेरित करती हैं कि वे भी अपनी काबिलियत साबित कर सकती हैं और इतिहास रच सकती हैं।