हैदराबाद के निश्चल नारायणम का जीवन प्रेरणा का एक अद्वितीय स्रोत है। 1995 में जन्मे निश्चल ने केवल 11 साल की उम्र में ही अपनी असाधारण प्रतिभा के कारण पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त किया था। उनकी विलक्षण प्रतिभा ने उन्हें न केवल भारत का सबसे युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनाया बल्कि हाल के समय के सबसे युवा डबल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक भी।
गणित में निश्चल का अद्भुत सफर
नौ साल की उम्र में, निश्चल ने अपने पिता की अकाउंटिंग बुक में एक गणना त्रुटि पहचानी, जिससे उनके गणितीय कौशल की शुरुआत हुई। उनकी माँ, डॉ. पद्मावथी ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और उसे निखारने में मदद की। नौ वर्ष की उम्र में ही निश्चल ने ‘गणिताष्टावधनम’ नामक जटिल गणितीय कारनामा पूरा कर ‘गणितावधानी’ का खिताब अर्जित किया। यह उपलब्धि उनकी निरंतर मेहनत और समर्पण का परिणाम थी।
भारत की पहली गणित प्रयोगशाला की स्थापना
पाँचवीं कक्षा में, निश्चल ने देखा कि उनके साथी 2D ब्लैकबोर्ड पर ज्यामितीय अवधारणाओं को समझने में कठिनाई महसूस कर रहे थे। इस समस्या का समाधान करने के लिए, उन्होंने मात्र दस वर्ष की उम्र में भारत की पहली गणित प्रयोगशाला की स्थापना की। यह प्रयोगशाला “करके सीखने” की अवधारणा पर आधारित थी और इस पहल ने उन्हें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (स्वर्ण पदक) दिलाया।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
निश्चल की उपलब्धियों ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। उन्होंने 11 साल की उम्र में 12 मिनट में 225 वस्तुओं को याद कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया। इसके बाद, 12 वर्ष की आयु में वे विश्व मेमोरी चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने। 13 वर्ष की आयु में, उन्होंने ‘1 मिनट में सबसे लंबी संख्या श्रृंखला याद करने’ का दूसरा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया।
शिक्षा में सुधार के लिए निश्चल का योगदान
15 साल की उम्र में, निश्चल ने निश्चल्स स्मार्ट लर्निंग सॉल्यूशन्स प्रा. लि. की स्थापना की, जो “प्रायोगिक और अनुभवात्मक शिक्षा” पर केंद्रित है। उनकी कंपनी का लक्ष्य भारतीय स्कूलों में गणित और विज्ञान प्रयोगशालाओं की कमी को दूर करना है। सात वर्षों की गहन शोध के बाद, उन्होंने 15 से अधिक शिक्षा उत्पाद विकसित किए और 50 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए। उनकी कंपनी ने 5,000 से अधिक स्कूलों में शिक्षा प्रणाली को परिवर्तित किया है।
शैक्षणिक उपलब्धियाँ और भविष्य की योजनाएँ
निश्चल ने 16 वर्ष की आयु में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 2015 तक, उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से गणित और वाणिज्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की, जिससे वे सबसे युवा डबल पोस्टग्रेजुएट बने। 19 साल की उम्र में, उन्होंने भारत के सबसे युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का गौरव प्राप्त किया।
निश्चल का संदेश
आज, निश्चल निश्चल्स स्मार्ट लर्निंग सॉल्यूशन्स के संस्थापक और मेंटर के रूप में काम करते हैं, अपने समय का 80% अनुसंधान और विकास में समर्पित करते हैं। वे पारंपरिक शैक्षिक प्रथाओं में क्रांति ला रहे हैं और पूरे भारत में समावेशी और अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि समर्पण, मेहनत और एक नई दृष्टिकोण से बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
निश्चल नारायणम की कहानी न केवल युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है बल्कि यह भी दिखाती है कि सही मार्गदर्शन और दृढ़ संकल्प से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।