उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों ने सपा-कांग्रेस का मनोबल बढ़ाया है तो बीजेपी को आत्मचिंतन के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे सपा-कांग्रेस के हमले बढ़ते जा रहे हैं। अब उप्र में 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसके लिए दोनों पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन्हीं के नतीजे से तय होगा कि उप्र में किसे मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलेगी। भाजपा का प्रयास होगा कि वह आशातीत सफलता नहीं मिलने पर इन चुनावों को जीते और दिखाए कि जनता उसके साथ है। वहीं सपा का प्रयास होगा कि वह अपना मोंमेटम बरकरार रखे। सबकी नजरें बसपा की ओर भी होंगी, जो इन सीटों पर उम्मीदवार उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय बना सकती है। वैसे तो हाल ही में हुए 7 राज्यों की 13 सीटों पर आए नतीजे ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि उसे सिर्फ 2 सीटें और जेडीयू को एक सीट ही मिल पाई थी।
इन सीटों पर होना है उपचुनाव
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से नौ सीटें लोकसभा चुनाव में विधायकों की जीत के कारण रिक्त हुई हैं, जबकि दसवीं सीट सीसामऊ सपा विधायक इरफान सोलंकी की आपराधिक मुकदमे में सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है। उत्तर प्रदेश की फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी और कुंदरकी सीट से विधायक इस बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं।
सपा और भाजपा की थीं 5-5 सीटें
सपा के खेमे की जो पांच सीटें खाली हुई हैं, उन पर उसका पलड़ा काफी भारी हो सकता है। मैनपुरी की करहल सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव विधायक थे। यह सीट सपा का अभेद्य दुर्ग मानी जाती है। मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से जियाउर्रहमान बर्क अब सांसद हैं, लेकिन यह मुस्लिम बहुल सीट सपा के कब्जे से छीनना आसान नहीं दिखता। वहीं अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से भाजपा सिर्फ 1991 में जीती थी। यहां पांच बार बसपा तो दो बार सपा जीती है। लालजी वर्मा अब सपा के टिकट से लोकसभा चुनाव जीते हैं। फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सभी की नजरें होंगी। अयोध्या की भूमि पर भाजपा को परास्त करने वाले अवधेश प्रसाद की इस सीट पर भाजपा को दम दिखाना होगा। कानपुर की सीसामऊ सीट तीन बार से सपा के इरफान सोलंकी ने जीती थी। इस सीट पर भी मुस्लिम आबादी सबसे अधिक है।