मोदी सरकार आज लोकसभा में वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक पेश करेगी। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसे पेश करेंगे। दरअसल 20 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र चलेगा। सरकार का प्रयास है कि बचे चार दिन में इस पर चर्चा हो और विधेयक दोनों सदनों से पारित कराया जाए। वहीं विपक्ष इसके विरोध में है। वह इसे अव्यवहारिक बता रहा है। विधेयक लोकसभा में तो पारित हो जाएगा, लेकिन राज्यसभा में सरकार को बहुमत जुटाकर पास कराना होगा। अब देखना होगा कि सरकार इसे कब तक संसद से पारित करा पाती है।
कांग्रेस ने कहा-कड़ा विरोध करेंगे
वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने स्पष्ट कहा कि हम इस विधेयक का कड़ा विरोध करते हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने 17 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा था कि कांग्रेस इस विधेयक का विरोध क्यों और किस कारण से कर रही है। उन्होंने कहा कि हम वन नेशन, वन इलेक्शन के विधेयक को संविधान के खिलाफ मानते हैं। लोकतंत्र को हटाने के लिए यह चलाया जा रहा है। वन नेशन, वन इलेक्शन संविधान बदलने का एक बिगुल है।
सपा और एनसीपी शरद गुट भी विरोध में
वन नेशन, वन इलेक्शन पर समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि हमारी पार्टी इसका विरोध करेगी क्योंकि यह संविधान की तमाम धाराओं के खिलाफ है। वहीं एनसीपी-एसएचपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि इसपर और चर्चा होने की जरूरत है। जो भी निर्णय हो, वो सभी से चर्चा करने के बाद हो। हमारी पार्टी की मांग जेपीसी की होगी।