हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुई भगदड़ की दुखद घटना ने एक बार फिर भारत में धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले पांच सालों में ऐसे कई बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई है और हजारों घायल हुए हैं। आकड़ों के मुताबिक, पिछले 5 सालों में धार्मिक आयोजनों में 10 से अधिक बड़ी भगदड़ की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।
पिछले 5 सालों के कुछ प्रमुख हादसे:
भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। कुछ प्रमुख घटनाएं, जिनमें हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए:
- जुलाई 2024, हाथरस, उत्तर प्रदेश: एक धार्मिक सभा में हुई भगदड़ में 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह घटना एक स्वयंभू संत के सत्संग के दौरान हुई थी, जहां उम्मीद से कहीं अधिक भीड़ जुट गई थी।
- जनवरी 2025, महाकुंभ मेला, प्रयागराज: मौनी अमावस्या के पवित्र स्नान के दौरान कुंभ मेले में भगदड़ मचने से कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 से अधिक घायल हुए थे।
- जनवरी 2022, माता वैष्णो देवी Shrine, जम्मू-कश्मीर: नए साल के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण वैष्णो देवी मंदिर में हुई भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हुए थे। संकरे प्रवेश मार्ग पर अत्यधिक भीड़ जमा होने से यह हादसा हुआ था।
- मार्च 2024, श्रीजी मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश: होली से पहले एक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में भगदड़ जैसी स्थिति बनी, जिसमें कई लोग घायल हुए।
- मई 2025, लाइराई जात्रा, गोवा: उत्तरी गोवा के शिरगाओ गांव में लाइराई जात्रा उत्सव के दौरान भगदड़ मचने से 6 लोगों की मौत हो गई और 100 तक घायल हो गए। मंदिर तक जाने वाले संकरे रास्ते पर भीड़ बढ़ने से यह हादसा हुआ।
- मार्च 2023, इंदौर, मध्य प्रदेश: रामनवमी के अवसर पर एक मंदिर में हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बना स्लैब ढह जाने से 36 लोगों की मौत हो गई थी।
- फरवरी 2025, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन: महाकुंभ से लौट रहे तीर्थयात्रियों के कारण प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो गई थी।
कारणों पर सवाल और सुरक्षा पर चिंता
इन हादसों के पीछे मुख्य कारण अक्सर खराब भीड़ प्रबंधन, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, अफवाहें, और आपातकालीन निकासी योजनाओं की कमी होती है। कई धार्मिक स्थल हजारों साल पुराने हैं और उन्हें आज की विशाल भीड़ के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया है। अधिकारियों और आयोजकों के बीच समन्वय की कमी भी इन त्रासदियों को जन्म देती है।
मनसा देवी की घटना के बाद, एक बार फिर इस बात पर बहस छिड़ गई है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों को कैसे सुधारा जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। सरकारों और धार्मिक संस्थाओं को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।