दिल्ली में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सायरन बजते ही शहर में अफरातफरी का माहौल छा जाता था। हवाई हमलों की आशंका से लोग दहशत में आ जाते थे और अपनी सुरक्षा के लिए इधर-उधर भागने लगते थे। उन दिनों दिल्ली में सायरन एक आम आवाज बन गई थी। जैसे ही सायरन की तीखी आवाज सुनाई देती, लोग अपने घरों और दफ्तरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों की तलाश में दौड़ पड़ते थे। सडक़ों पर भगदड़ मच जाती थी, बच्चे रोने लगते थे और बुजुर्ग लाठी के सहारे धीरे-धीरे सुरक्षित जगहों की ओर बढ़ते थे। कुछ ऐसा ही 1965 में हुआ, जब कई शहरों में इस तरह के हालात थे।
रात में छा जाता था अंधेरा
घरों में रहने वाले लोग तुरंत खिड़कियों और दरवाजों को अंदर से बंद कर लेते थे और रोशनी को बाहर निकलने से रोकने के लिए उन पर काले कपड़े या कागज लगा देते थे। रात के समय पूरी दिल्ली में अंधेरा छा जाता था, सिर्फ जरूरी सेवाओं की ही रोशनी कहीं-कहीं दिखाई देती थी। कई इलाकों में लोगों ने अपने घरों के आसपास खाइयां खोद ली थीं, जिन्हें वे संभावित हवाई हमले के दौरान बंकर के तौर पर इस्तेमाल कर सकें। सायरन की आवाज सुनकर लोग इन खाइयों में छिप जाते थे और बम गिरने की आवाजें आने का इंतजार करते थे। डर के माहौल के बावजूद, दिल्ली के लोगों ने गजब का हौसला दिखाया था। रात-रात भर लोग अपनी कॉलोनियों और मोहल्लों में पहरा देते थे ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा सके। जब कभी दूर से किसी हवाई जहाज की आवाज सुनाई देती थी, तो लोग भारत माता की जय और सेना जिंदाबाद के नारे लगाते थे, जिससे उनका मनोबल बना रहता था।
उन युद्धों के बुजुर्ग थे चश्मदीद
जबलपुर में भी 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों की याद दिला दी, जिन्होंने उन चुनौतीपूर्ण समयों को अपनी आँखों से देखा था। जैसे ही मॉक ड्रिल के लिए सायरन बजा और सुरक्षा बलों की गाडिय़ाँ तेज़ी से सडक़ों पर दौडऩे लगीं, बुजुर्गों के मन में उन युद्धों के दौरान का तनाव और अनिश्चितता का माहौल फिर से जीवंत हो उठा। 1965 के युद्ध के दौरान जबलपुर एक महत्वपूर्ण सैन्य केंद्र था। यहाँ से सैनिकों और सैन्य सामग्री की आवाजाही लगातार बनी रहती थी। शहर के लोगों ने उस समय सैनिकों का मनोबल बढ़ाया और हर संभव सहायता प्रदान की थी। वहीं, 1971 के युद्ध में जब भारत ने पाकिस्तान को पराजित कर बांग्लादेश को स्वतंत्र कराया, जबलपुर के कई वीर जवानों ने सीमाओं पर अपनी बहादुरी का परिचय दिया था। जबलपुर में हुई इस मॉक ड्रिल ने न केवल शहर की सुरक्षा व्यवस्था का परीक्षण किया, बल्कि इसने पुरानी पीढ़ी को देश के गौरवशाली इतिहास और बलिदानों की याद दिलाई, और नई पीढ़ी को सुरक्षा के महत्व से परिचित कराया। यह एक ऐसा अनुभव था जिसने अतीत के सबक को वर्तमान की तैयारियों से जोड़ा।