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    बुखार, खसरा के संक्रमणों से होता है बचाव.. शीतला सप्तमी और अष्टमी का यह है महत्व

    शीतला सप्तमी का पर्व इस वर्ष 21 मार्च यानी शुक्रवार के दिन और शीतला अष्टमी का पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। मान्यता है कि शीतला माता की पूजा अर्चना करने से बुखार, खसरा आदि अन्य संक्रमणों से बचाव होता है। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है बल्कि बासी खाना खाया जाता है। यह पर्व देश के अलग-अलग राज्यों में मनाया जाता है, जिसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। देश के कुछ हिस्सों में सप्तमी के दिन और कुछ हिस्सों में अष्टमी तिथि के दिन माता शीतला की पूजा की जाती है।

    सप्तमी और अष्टमी का महत्व

    शीतला सप्तमी और अष्टमी को लेकर धार्मिक मान्यताएं ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा भी है। गर्मी के मौसम में ताजा, अधिक मसालेदार खाना खाने पाचन तंत्र बिगड़ जाता है। इस वजह से गर्म भोजन से परहेज कर हल्का भोजन करने से पाचन तंत्र अच्छा और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

    क्या करें क्या न करें

    • शीतला अष्टमी और सप्तमी के दिन महिलाओं को घर में भोजन नहीं बनाना चाहिए। यानी घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
    • स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
    • माताओं को सिर्फ और सिर्फ ठंडी चीजों का ही सेवन करना चाहिए। गर्म चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • महिलाओं को कढ़ाई बुनाई जैसे कार्य नहीं करने चाहिए। यदि आप ऐसा करे हैं तो माता शीतला नाराज हो सकती हैं।
    • घर में किसी व्यक्ति को चेचक की बीमारी हो गई है तो फिर इस दिन पूजा या व्रत नहीं करना चाहिए।
    • बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत जरूर करना चाहिए और अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए।
    • महिलाओं को अष्टमी पर बाल धोने से बचना चाहिए।
    • माता शीतला को मीठे चावल का भोग जरूर लगाना चाहिए। लेकिन यह एक दिन पहले बने होने चाहिए। माता शीतला को भी बासी खाने का ही भोग लगाएं और परिवार के सभी लोग भी यही खाना खाएं।
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