भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को अपनी अगस्त बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया और आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसकी घोषणा की।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है। हालांकि, देश में खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इन्फ्लेशन) पिछले कुछ महीनों से 4% से नीचे बनी हुई है, लेकिन आरबीआई ने दरों में कटौती न करने का फैसला किया है।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि “मौजूदा व्यापक आर्थिक परिस्थितियों और अनिश्चितताओं को देखते हुए, 5.5% की नीतिगत रेपो दर को जारी रखना और पहले की गई दर कटौती के लाभ का इंतजार करना ही समझदारी है।” उन्होंने बताया कि इस साल की शुरुआत में फरवरी, अप्रैल और जून में रेपो रेट में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी, जिसका असर अभी तक पूरी तरह से अर्थव्यवस्था में नहीं दिखा है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष (FY26) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है। हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया गया है। आरबीआई ने कहा कि ‘न्यूट्रल’ नीतिगत रुख जारी रहेगा और जरूरत पड़ने पर भविष्य में कोई भी फैसला लिया जा सकता है।
इस घोषणा से उन लोगों को झटका लगा है जो होम, कार और अन्य लोन की ईएमआई में कमी की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए यह एक संतुलित और समझदारी भरा फैसला है।