हरियाणा में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। राज्य में एक अक्टूबर को वोटिंग होना है, तो 4 सितंबर को नतीजे आ जाएंगे। इसके साथ ही तय हो जाएगा कि राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी या कांग्रेस बाजी मारेगी। वैसे यहां मुकाबल तो कांग्रेस-भाजपा में है, लेकिन छोटी पार्टियां भी दोनों की राह में रोड़े अटका सकती हैं। अभी तक बसपा और आईएनएलडी में ही गठबंधन हो पाया है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में दमखम के साथ उतर गई है। भाजपा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी। कांग्रेस को भी उम्मीद है कि इस बार सत्ता उसके हाथ में आएगी। भाजपा की ओर से सीएम नायब सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है। वे सीधे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्ड पर निशाना साध रहे हैं।
गठबंधन की ये है स्थिति
चुनाव में कांगे्रस, भाजपा, आप, जेजेपी, आईएनएलडी-बसपा गठबंधन मैदान में हैं। ऐसे में कई सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। अगर कांग्रेस ने आप या अन्य छोटी पार्टियों से गठबंधन नहीं किया तो इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है। जिस तरह से भाजपा ने जेजेपी का साथ छोड़ा है, उससे स्पष्ट है कि भाजपा इस बिखराव का ज्यादा से ज्यादा फायदा लेना चाहती है।
गुटबाजी कांग्रेस की राह का सबसे बड़ा रोड़ा
कांग्रेस की राह में गुटबाजी सबसे बड़ा रोड़ा है। लोकसभा चुनाव में इसी वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था और भाजपा से बराबर का मुकाबला रहा था। हरियाणा में दो गुट हैं। एक गुट भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो सबसे ज्यादा ताकतवर है। वहीं दूसरा गुट कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। दोनों गुट राज्य में आमने-सामने होते हैं। अब नजर दिल्ली पर टिकी हुई है, वह किसी चुनाव में आगे करती है। हुड्डा कैंप का पूरा प्रयास है कि टिकट उसकी पसंद के उम्मीदवारों के मिलेंगे। शैलजा और सुरजेवाला की दिल्ली में अच्छी पकड़ है। ऐसे में सिर फुटौव्वल की स्थिति बनना तय है।