हरियाणा में साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य में 5 लोकसभा की सीटें जीतने वाली कांग्रेस को उम्मीद है कि वह सत्ता में वापसी करेगी, लेकिन गुटबाजी उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। यही वजह है कि नतीजे आने के 15 दिन बाद ही हरियाणा में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा और कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी और उनकी मां किरण चौधरी भाजपा में शामिल हो गईं। किरण चौधरी एसआरके (कुमारी शैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी) गुट का हिस्सा थीं। यह गुट हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती देता रहा है।
10 साल से सत्ता से बाहर है कांग्रेस
हरियाणा में 2014 में कांग्रेस सरकार की विदाई हुई थी। तब से लगातार 2 बार कांग्रेस की हार हुई है। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन किरण चौधरी और श्रुति के भाजपा में आने से कांग्रेस को झटका लगा है। इसका असर अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में दिख सकता है।
3 नेताओं में समन्वय बनाना बड़ी चुनौती
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के बीच गुटबाजी है। हाल ही में लोकसभा चुनाव में जीते 4 सांसद हुड्डा के पाले में चले गए थे। ऐसे में कुमारी शैलजा फिर से सक्रिय हुईं और समर्थकों से मेलजोल बढ़ाया। कांग्रेस आलाकमान को तीनों नेताओं में समन्वय बनाना बड़ी चुनौती है। ऐसे में शैलजा, सुरजेवाला को विश्वास दिलाना होगा कि उन्हें साइडलाइन नहीं किया जाएगा। वहीं हुड्डा को यह विश्वास दिलाना होगा कि चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि गुटबाजी के चलते ऐसा होना बेहद मुश्किल है।