विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल की कहानी पर आधारित फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ आज 31 अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। परेश रावल अभिनीत इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
नेटिजन्स की प्रतिक्रियाएँ
फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ ने दर्शकों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया है। नेटिजन्स ने अपनी प्रतिक्रियाओं में फिल्म के कथानक और अभिनय की सराहना की है। कई यूजर्स फिल्म की कहानी को लेकर उत्साहित दिखे और इसे “झूठ के खिलाफ सच की एक दिलचस्प कहानी” बताया। अन्य यूजर्स फिल्म की कहानी और मुख्य अभिनेता परेश रावल के दमदार अभिनय की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने सभी से फिल्म को “निष्पक्ष होकर देखने” की अपील की। एक अन्य यूजर ने इसे प्रमोशनल फिल्म बताया। कई फैंस ने फिल्म के डायलॉग्स को ट्वीट करते हुए अपनी रुचि दिखाई। कुल मिलाकर, फिल्म ने दर्शकों को प्रभावित किया है और सोशल मीडिया पर एक चर्चा शुरू कर दी है।
The Taj Story फिल्म की कहानी
फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ की कहानी भारत के सबसे प्रतिष्ठित स्मारक, ताजमहल, की पारंपरिक ऐतिहासिक कहानी पर सवाल उठाती है। यह फिल्म ताजमहल के निर्माण और उसकी उत्पत्ति के सदियों पुराने विवादों को बड़े पर्दे पर एक कोर्ट रूम ड्रामा के माध्यम से पेश करती है। परेश रावल ने फिल्म में एक टूर गाइड ‘विष्णुदास’ का किरदार निभाया है। फिल्म की कहानी विष्णुदास के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ताजमहल के इतिहास पर संदेह व्यक्त करते हुए कानूनी लड़ाई शुरू कर देता है और कोर्ट रूम में केस दायर करता है। फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों पर आलोचनात्मक सवाल उठाए गए हैं, और यह बहस का विषय बनती है कि ताजमहल वास्तव में मकबरा है या फिर मूल रूप से एक मंदिर (तेजो महालय) था।कहानी ताजमहल के अंदर मौजूद 22 बंद कमरों के रहस्य और उद्देश्य पर जोर डालती है, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि उनमें कई राज़ छिपे हैं।
- आस्था बनाम तर्क
- फिल्म आस्था (Belief) और तर्क/ऐतिहासिक तथ्यों (Facts) के बीच टकराव को दर्शाती है, जहाँ विष्णुदास इतिहास की आम समझ को चुनौती देते हुए सच्चाई को उजागर करने की कोशिश करते हैं। फिल्म का उद्देश्य दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करना है कि क्या ताजमहल का पारंपरिक रूप से स्वीकृत इतिहास ही एकमात्र सच है या इसके पीछे कोई अनकही सच्चाई छिपी है।

