होलिका दहन इस साल आज यानि 13 मार्च 2025 को है। अगले दिन 14 मार्च 2025 को रंगों वाली होली मनाई जाएगी। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। पूर्णिमा 13 मार्च सुबह 10.35 बजे से शुरू होकर 14 मार्च दोपहर 12.23 बजे तक रहेगी। होलिका दहन की कथा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह कथा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकशिपु से जुड़ी है।
अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था
प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक शक्तिशाली असुर राजा था। उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मनुष्य मार सकता है, न कोई पशु, न दिन में, न रात में, न घर के अंदर, न बाहर, न पृथ्वी पर, न आकाश में और न ही किसी अस्त्र-शस्त्र से। इस वरदान के कारण हिरण्यकशिपु अत्यंत अहंकारी और अत्याचारी हो गया। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकशिपु ने पुत्र को विष्णु भक्ति से रोकने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति में अटल रहा। क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाने के लिए कहा। होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था। इसलिए होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई चिता पर बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा, जबकि होलिका जलकर राख हो गई। तभी से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाने लगा। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। यह त्योहार हमें अहंकार और बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देता है।
होलिका दहन की परंपरा
होलिका दहन के दिन लोग लकड़ी और उपले इकठ्ठा करके एक बड़ी चिता बनाते हैं। शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है। लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और अग्नि में गेहूं की बालियां और नारियल डालते हैं। अगले दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
विविधता से भरे भारत में हर राज्य की अपनी परंपराएं हैं। होलिका दहन करने की कई परपंराएं हैं। पंचांग के अनुसार होलिका दहन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त गुरुवार रात 11.26 बजे से देर रात 12.30 बजे तक है। इस समय में होलिका दहन करने से आपको लाभ होगा।