प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2025 को लखनऊ में ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन करते हुए विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की विरासत और अनुच्छेद 370 को लेकर अपनी सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया।
कांग्रेस और सपा पर तीखा प्रहार
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान को मिटाने और उन्हें भुलाने का “पाप” किया है। उन्होंने कहा:
- परिवारवाद की राजनीति: 2014 से पहले देश की हर योजना, पुस्तक और स्मारक केवल एक ही परिवार (गांधी परिवार) के महिमामंडन तक सीमित थे।
- आंबेडकर का अपमान: प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली के “शाही परिवार” (कांग्रेस) ने आंबेडकर की विरासत को खत्म करने की कोशिश की, और उत्तर प्रदेश में यही काम सपा ने किया। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस ने बाबासाहेब को भारत रत्न से वंचित रखा था और उनके खिलाफ चुनाव में प्रचार तक किया था।
अनुच्छेद 370 पर गर्व
कश्मीर मुद्दे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा को अनुच्छेद 370 खत्म करने पर गर्व है।उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ के सपने को साकार करने का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि अनुच्छेद 370 की दीवार गिरने से आज जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान पूरी तरह लागू हो रहा है, जिससे दलितों और पिछड़ों को उनके अधिकार मिल रहे हैं।
अटल जी और सुशासन
अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अटल जी ने देश में सुशासन (Good Governance) की नींव रखी थी।
- उन्होंने उल्लेख किया कि आज का ‘आधार’ और ‘डिजिटल क्रांति’ अटल जी की दूरगामी सोच का ही परिणाम है। पीएम ने उत्तर प्रदेश की बदलती पहचान का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य अब माफिया राज से निकलकर विकास और निवेश के केंद्र के रूप में उभर रहा है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार का मूल मंत्र “सबका साथ, सबका विकास” है, जबकि विपक्ष केवल अपने परिवार के हितों की रक्षा में लगा रहा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार ने विपक्षी नेताओं जैसे प्रणब मुखर्जी और मुलायम सिंह यादव को भी सम्मान देकर यह साबित किया है कि उनके संस्कार अपमान करने के नहीं, बल्कि सभी के योगदान को स्वीकार करने के हैं।


