लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया है लेकिन राज्यसभा में इसे पास कराने एनडीए के लिए बड़ी चुनौती होगी। केंद्र सरकार को एनडीए के सभी घटक दलों का समर्थन मिला है और लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 288 सांसदों ने वोट किया। इसके विपक्ष में 232 वोट पड़े है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बिल को राज्यसभा में भी पेश कर दिया है। हालांकि वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 की असली परीक्षा उच्च सदन में मानी जा रही है। राज्यसभा में एनडीए का बहुमत की जरूरी संख्या पर ही स्थिर है। ऐसे में दोनों गठबंधनों के किसी भी दल के किसी भी सांसद का इधर-उधर होना विधेयक को पास कराने की राह में रोड़ा बन सकता है।
राज्यसभा में यह है समर्थन का गणित?
राज्यसभा में कुल सांसद संख्या है। मौजूदा समय में सदन में 236 सांसद हैं। 9 सीटें खाली हैं। राज्यसभा में कुल 12 सांसद नामित हो सकते हैं, लेकिन इनकी संख्या अभी 6 है। हालांकि ये 6 सांसद वोट नहीं दे सकते। इस लिहाज से राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्यसभा में आंकड़ों के लिहाज से एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। राज्यसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और उसके कुल 98 सांसद हैं। जदयू, तेदेपा, राकांपा व अन्य दलों की तरफ से एनडीए को समर्थन मिला हुआ है। राज्यसभा में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) का एक सांसद, पत्तली मक्कल काची, तमिल मनिला कांग्रेस (टीएमसी-एम), नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के एक-एक सांसद, रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-ए) का एक सांसद और दो निर्दलीय सांसद हैं। ऐसे में उसके पास 119 सांसद हैं।
विपक्ष की यह है ताकत
वहीं राज्यसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और उसके 27 सांसद हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और द्रमुक उसके समर्थन में हैं। नवीन पटनायक का बीजू जनता दल (बीजद) के 7 सांसद विपक्ष के साथ हैं।
इनका रुख स्पष्ट नहीं
दूसरे कार्यकाल में एनडीए के साथ रही जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके भी विपक्ष के साथ हैं। हालांकि तेलंगाना की पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) की 4 सीटें, बहुजन समाज पार्टी की 1 सीट और मिजो नेशनल फ्रंट की 1 सीट है, जो निर्णायक साबित होंगे।