पंजाब में लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल साथ आने की चाहत रखते हैं, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही। इस बीच दोनों दल पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुट गए हैं। पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब में बड़े राजनीतिक बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। भाजपा आलाकमान ने संकेत दे दिए हैं कि पंजाब में 2027 के चुनाव का आकलन नहीं कर सकते। भाजपा हाईकमान के इस कथन ने प्रदेश के सियासी जानकारों को फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है।
भाजपा में आए कांग्रेस के बड़े नेता
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू की और फिर प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ कांग्रेस से भाजपा में आ गए हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले आप और कांग्रेस के कई बड़े चेहरे भाजपा का दामन थाम सकते हैं। ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव में कई नेताओं को टिकट कटने का डर सता रहा है। इस बीच दोनों राजनीतिक दलों के बीच करीबी बढ़ सकती है। इन बनते और बिगड़ते समीकरणों ने 2027 में प्रदेश की लड़ाई रोचक होने का अंदेशा लगाना शुरू कर दिया है।
किला मजबूत करने में जुटी बीजेपी और एसएडी
2024 में बीजेपी पंजाब में अकेले 13 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ी थी। हालांकि भाजपा एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसने आप और कांग्रेस को कड़ी टक्कर जरूर दी। कई सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही। कई सीटों पर भाजपा ने अपने पूर्व गठबंधन दल से बेहतर प्रदर्शन किया। वहीं अकाली दल बेअदबी के गलतियों का प्रायश्चित कर नए सिरे से खुद को क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर मजबूत करने में जुटा है। खुद भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ भी कह चुके हैं कि पंजाब में अकाली दल जैसे क्षेत्रीय पार्टी का मजबूत होना जरूरी है।