संविधान दिवस (26 नवंबर) के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान के महत्व और नागरिकों के संवैधानिक कर्तव्यों पर ज़ोर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में बताया कि कैसे भारतीय संविधान की शक्ति ने उन्हें, एक गरीब परिवार से आने वाले साधारण व्यक्ति को, देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचाया।
उन्होंने कहा कि संविधान की वजह से ही उन्हें पिछले 24 वर्षों से निरंतर सरकार के मुखिया के तौर पर काम करने का अवसर मिला है। उन्होंने साल 2014 में पहली बार संसद भवन में प्रवेश करते समय सीढ़ियों पर सिर झुकाकर लोकतंत्र के मंदिर को नमन करने और 2019 में संसद के सेंट्रल हॉल में संविधान को सिर माथे लगाने के अपने भावुक क्षणों को याद किया।
संवैधानिक कर्तव्य: मजबूत लोकतंत्र की नींव
पीएम मोदी ने नागरिकों से अपने संवैधानिक कर्तव्यों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने महात्मा गांधी के इस विचार को याद किया कि अधिकार, कर्तव्यों के निर्वहन से ही प्राप्त होते हैं। उन्होंने बल दिया कि कर्तव्यों का पालन ही सामाजिक और आर्थिक प्रगति का आधार है और ये एक मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए वे अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखें। उनका मानना है कि आज लिए गए निर्णय और नीतियां आने वाली पीढ़ियों के जीवन को आकार देंगी।
संविधान दिवस मनाने के लिए सुझाव
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से मतदान के अधिकार का प्रयोग करके लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी पर ज़ोर दिया।उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल और कॉलेज संविधान दिवस को मनाते हुए उन युवाओं को सम्मानित करें जो 18 वर्ष की आयु पूरी करके पहली बार मतदाता बने हैं। उनका मानना है कि इससे युवाओं को जिम्मेदारी और गर्व से प्रेरित किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने संविधान के निर्माण में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर और संविधान सभा की प्रतिष्ठित महिला सदस्यों के योगदान को भी याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।


