कंधे पर सीमेंट के कट्टे और 20 हजार तनख्वाह…। यह एक दिहाड़ी मजदूर है जो अपने संकल्प के बलबूते बॉडीबिल्डर बन गया। महाराष्ट्र में अमरावती के वरुडा इलाके में रहने वाले रोशन भाजनकर की कहानी आपका दिल जीत लेगी। रोशन भाजनकर की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। एक दिहाड़ी मजदूर, जो अपने कंधों पर सीमेंट और अनाज के कट्टे ढोता है और मुश्किल से 20,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। रोशन रेलवे यार्ड में बतौर कुली काम करते हैं, जहां उन्हें हर दिन सैकड़ों बोरियां उठानी पड़ती हैं। यह काम शारीरिक रूप से बेहद थका देने वाला होता है, लेकिन रोशन ने इसी मेहनत को अपनी ताकत बनाया। दिन भर की कड़ी मजदूरी के बाद, जब दूसरे आराम कर रहे होते हैं, रोशन जिम का रुख करते हैं।
घर का सादा और देशी भोजन
रोशन की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने किसी महंगे सप्लीमेंट या डाइट पर निर्भर रहने के बजाय, घर के सादे और देसी खाने से ही अपनी शानदार बॉडी बनाई है। उनकी डाइट में मुख्य रूप से दाल, चावल, रोटी और घर में बनी सब्जियां शामिल होती हैं। वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपनी पौष्टिक डाइट पर खर्च करते हैं, ताकि उनके बॉडीबिल्डिंग के सपने पूरे हो सकें। रोशन के परिवार में उनकी मां, भाई, पत्नी और दो बेटियां हैं, और उनकी पूरी जिम्मेदारी रोशन पर है। अपने परिवार को बेहतर जीवन देने के लिए वे हर दिन धूप और गर्मी में 10 से 12 घंटे तक काम करते हैं। इसके बावजूद, उन्होंने अपने बॉडीबिल्डिंग के जुनून को कभी नहीं छोड़ा।
कई पुरस्कार जीते, खुद को साबित हुआ
रोशन ने कई बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और पुरस्कार भी जीते हैं। उनकी कहानी आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है, जो अक्सर संसाधनों की कमी का रोना रोते हैं। रोशन ने साबित कर दिया है कि अगर लगन और मेहनत हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल क्यों न हों। उनका सफर इस बात का प्रमाण है कि शारीरिक श्रम भी किसी भी जिम वर्कआउट से कम नहीं होता, अगर उसे सही दिशा और दृढ़ता के साथ किया जाए।