हिंडनबर्ग की पिछली रिपोर्ट ने भारत में तूफान ला दिया था। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा अडानी ग्रुप और निवेशकों ने भुगता। इससे भारत के शेयर बाजार में कई दिनों तक खलबली मची रही। अडानी के शेयर ऐसे लुढक़े कि संभलने में कई दिन लग गए। हालांकि हिंडनबर्ग के शेयर को इससे फायदा हुआ। बहरहाल जब हाल ही में हिंडनबर्ग 2.0 की रिपोर्ट आई तो अमेरिका की इस कंपनी को लगा कि उसे तगड़ा फायदा होगा और भारत का शेयर मार्केट धड़ाम हो जाएगा, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया। छोटे निवेशकों ने शेयर बाजार को संभाल लिया और भारतीय शेयर बाजार तहस-नहस नहीं हो पाया। यानि दोनों ही मोर्चों पर हिंडनबर्ग को नाकामयाबी ही हाथ लगी और मुंह की खानी पड़ी। डेढ़ साल में दूसरी बार आई हिंडनबर्ग की रपोर्ट से शेयर बाजार में तूफाना आना तो दूर हवा भी नहीं चली।
दूसरी रिपोर्ट पूरी तरह रही बेअसर
जानकारों का कहना है कि कुछ ताकतवर देश भारत के खिलाफ लगातार साजिशों को हवा देते हैं और हिंडनबर्ग उसका टूल होता है। भारत में शानदार प्रदर्शन कर रही अर्थव्यवस्था से ये देश चिढ़े हुए हैं। हिंडनबर्ग ने न सिर्फ अडानी को निशाने पर लिया बल्कि सेबी की विश्वसनीयता पर भी सीधा हमला बोल दिया। ये बात और है कि पहले रिपोट्र में एलआईसी, एसबीआई समेत कई बड़ी संस्थाओं को झटका लगा था, जो अडानी ग्रुप के हितधारक थे। लेकिन इस बार निवेशक डगमगाए नहीं बल्कि मजबूती से डटे रहे। एलआईसी ने भी अडानीर ग्रुप में इन्वेस्टमेंट बढ़ा दिया। सूत्र यह भी बताते हैं कि भारत से कुछ लोगों का समर्थन होने के कारण हिंडनबर्ग इतने सबूत जुटा पाया। बहरहाल हिंडनबर्ग की यह साजिश रंग नहीं ला पाई और इसकी दूसरी रिपोर्ट पूरी तरह बेअसर रही।