अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर राजनीति गर्म है। विपक्ष जहां चुन-चुनकर हमले कर रहा है, तो सत्तापक्ष पूरे देश को राममय करने में जुटा हुआ है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल कार्यक्रम को राजनीतिक बनातकर धर्म के राजनीतिकरण करने का आरोप भी लगा रहे हैं।
राजनीतिकरण करना धर्म को नीचे गिराता है : जयराम
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि भारत में मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, बौद्ध विहार, जैन मंदिर भी हैं। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। लेकिन 22 जनवरी का अयोध्या में होने वाला समारोह एक राजनैतिक समारोह है। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने कहा कि हम इस स्थिति में नहीं हैं कि यह निमंत्रण स्वीकारें लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर नहीं जा सकते। उन्होंने कहा कि हम धर्म विरोधी नहीं हैं। हम असली लोग हैं जो धर्म का पालन करते हैं क्योंकि धर्म का राजनीतिकरण करना धर्म को नीचे गिराता है और यह काम भाजपा और आरएसएस करती है।
धार्मिकता धर्मांधता में तब्दील हो जाती है : झा
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि महात्मा गांधी से बड़ा हिंदू मेरी नजर में नहीं है। जिस व्यक्ति को गोली लगी लेकिन फिर भी वे हे राम कहते हुए दुनिया से विदा हुए। उन्होंने कभी राजनीति और धर्म का घालमेल नहीं किया। वे जानते थे कि राजनीति में धार्मिकता धर्मांधता में तब्दील हो जाती है। आज इस देश में कई महीनों से रोजगार पर बात नहीं हो रही है। 2014 में पीएम मोदी रोजगार के वादे पर आए थे, राम मंदिर पर नहीं। वे जानते हैं वे असफल हुए हैं, तभी उन्होंने इससे अपनी असफलता को छुपाने की कोशिश की है।
धर्म के राजनीतिकरण के आरोप लगाकर बिफरा विपक्ष.. किसी ने कहा-धर्मांधता तो कोई बोला-नीचे गिराया
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