महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वालीं मोनिका मोहिते ने पारंपरिक शिक्षा और आधुनिक सोच का अद्भुत मिश्रण कर कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है। अंग्रेजी साहित्य में एमए, कंप्यूटर साइंस में पीजी डिग्री और क्रिएटिव राइटिंग में डिप्लोमा के साथ, मोनिका ने न सिर्फ खुद एक सफल कृषि उद्यमी बनकर दिखाया है, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं। ‘पारखी ऑर्गेनिक फार्म्स’ के जरिये वह यह साबित कर रही हैं कि प्राकृतिक खेती सिर्फ एक विकल्प नहीं है, बल्कि एक लाभदायक और टिकाऊ भविष्य की नींव है। आज उनका सालाना टर्नओवर ₹50 लाख है, जो उनके समर्पण और व्यावसायिक सूझबूझ का प्रमाण है।
एनर्जी बार और प्रोटीन सप्लीमेंट की जरूरत
मोनिका का जैविक खेती में उतरने का सफर एक मां के दिल से शुरू हुआ। साल 2008 में जब उनके बेटे ने पेशेवर रेसिंग में करियर शुरू किया, तो डाइटिशियन ने बताया कि उसे ताकत और सहनशक्ति के लिए एनर्जी बार और प्रोटीन सप्लीमेंट की जरूरत होगी। एक एथलीट और मां होने के नाते, मोनिका ने तुरंत महसूस किया कि बाजार में मिलने वाले उत्पादों में वह शुद्धता और पोषण नहीं है, जिसकी उनके बेटे को जरूरत थी। उन्होंने ठान लिया कि अगर ऐसा साफ-सुथरा, प्राकृतिक भोजन बाजार में नहीं मिलता, तो वह इसे खुद उगाएंगी और बनाएंगी।
ज्ञान और नवाचार का अद्भुत मिश्रण
बिना किसी कृषि प्रशिक्षण के, मोनिका ने साल 2010 में अपने सफर की शुरुआत की। उन्होंने कार्यशालाओं में हिस्सा लिया, विशेषज्ञों से सलाह ली और खुद अनुभव से सब कुछ सीखा। भोपाल में आईसीएआर-सीआईएई में एक प्रशिक्षण के दौरान, उन्होंने सीखा कि सोयाबीन के आटे को सही अनुपात में अन्य आटों के साथ मिलाने से प्रोटीन की मात्रा काफी बढ़ जाती है। इसी तरह की खोजों और प्रयोगों ने उनके उत्पादों को आकार दिया। 40 एकड़ में फैला उनका फार्म एक आत्मनिर्भर इकोसिस्टम है, जहां फसलें, दालें, पशुधन और कुक्कुट पालन सब एक साथ होते हैं। यहां सोयाबीन, गन्ना, चावल, ज्वार और दालें जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
बिचौलियों को खत्म करने का सपना
मोनिका मोहिते का मानना है कि जैविक खेती की सफलता में सबसे बड़ी बाधा किसानों के लिए उचित मूल्य की कमी है। वह ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क (जीएफबीएन) की भी सदस्य हैं, जहां वह अन्य प्रगतिशील किसानों के साथ ज्ञान और अनुभव साझा करती हैं। वह बिचौलियों को खत्म करने और एक ऐसा सिस्टम बनाने की वकालत करती हैं जहां किसान सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकें। मोनिका ने ‘पारखी’ के साथ सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि प्रामाणिकता, स्थिरता और देखभाल पर आधारित एक आंदोलन खड़ा किया है। उनका मानना है कि किसानों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म कृषि में क्रांति ला सकता है।