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    उपराष्ट्रपति के पद से हटने की इनसाइड स्टोरी.. घटनाक्रम जो बढ़ा रहे हैं संदेह

    भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सीय सलाह को बताया। हालांकि, उनके इस अप्रत्याशित कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है और कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

    स्वास्थ्य कारण या कुछ और?

    धनखड़ के इस्तीफे के बाद, उनके साले और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण बालवादा ने स्वास्थ्य कारणों को ही एकमात्र वजह बताया है। उन्होंने कहा कि धनखड़ को मार्च में स्टेंट इम्प्लांट प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था और उन्हें लगातार निम्न रक्तचाप की समस्या थी। बालवादा के अनुसार, धनखड़ एक कर्मठ व्यक्ति हैं और उन्हें लगा होगा कि वह एक साथ स्वास्थ्य और काम दोनों को उचित रूप से नहीं संभाल पा रहे हैं।

    हालांकि, कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं ने उनके इस्तीफे के पीछे राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी स्पष्टीकरण “विश्वसनीय नहीं” लगता है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने इसे “अकल्पनीय” बताते हुए कहा कि इसके पीछे कहीं गहरे कारण हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि धनखड़ मंगलवार को न्यायपालिका से संबंधित महत्वपूर्ण घोषणाएं करने वाले थे और उन्होंने उसी दिन बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी।

    इस्तीफे से पहले के कुछ घटनाक्रमों ने भी संदेह को बढ़ावा दिया है

    • अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचना: खबरें हैं कि धनखड़ बिना किसी पूर्व अपॉइंटमेंट के राष्ट्रपति भवन पहुंच गए थे, जिससे अधिकारी भी हैरान रह गए। इसके बाद आनन-फानन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ उनकी मीटिंग तय कराई गई।
    • राज्यसभा में की गई टिप्पणियां: इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, धनखड़ ने राज्यसभा में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव और सदन में एक सीट के नीचे लावारिस नकदी मिलने जैसी गंभीर मुद्दों को उठाया था।
    • सरकार से कथित मतभेद: कुछ भाजपा नेताओं का मानना है कि धनखड़ और न्यायपालिका के बीच लगातार चल रही खींचतान से पार्टी खुश नहीं थी। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक फैसले की भी आलोचना की थी, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा तय की गई थी।

    हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि धनखड़ के इस्तीफे से भारतीय राजनीति में क्या नए समीकरण बनते हैं और उनके उत्तराधिकारी कौन होंगे।

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