अपने बेबाक बयानों से अक्सर सुर्खियां बटोरने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा, “सत्ता का अहम ठीक नहीं होता, यह लीडरशिप को कमजोर कर देता है।” उनके इस बयान को सीधे तौर पर दिल्ली यानी केंद्र की मौजूदा सत्ता पर निशाना माना जा रहा है।
गडकरी ने कहा, जब लोगों के पास ताकत, पैसा, ज्ञान या सुंदरता आ जाती है तो उनमें घमंड आ जाता है। लोग सोचने लगते हैं कि वे ही सबसे ज्यादा समझदार हैं। इससे वे दूसरों पर अपनी बात थोपने लगते हैं। गडकरी ने कहा, सम्मान जबरन नहीं लिया जा सकता, यह कमाया जाता है। किसी में घमंड नहीं होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति दूसरों पर दबाव डालकर महान नहीं बनता। इतिहास में उदाहरण हैं जिन्हें लोगों ने खुद स्वीकार किया, उन्हें कभी भी किसी पर अपनी बात थोपने की जरूरत नहीं पड़ी।
हालांकि गडकरी ने किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान की टाइमिंग और संदर्भ इसे केंद्रीय नेतृत्व, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। गडकरी का यह बयान ऐसे समय आया है जब भाजपा में आंतरिक समीकरणों और नेतृत्व शैली को लेकर अक्सर फुसफुसाहट सुनाई देती रहती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गडकरी, जो आरएसएस के गढ़ नागपुर से आते हैं, शायद पार्टी के भीतर बढ़ती केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति और कुछ नेताओं के अत्यधिक आत्मविश्वास को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे थे। उनका मानना है कि ‘अहम’ या अहंकार किसी भी नेतृत्व को कमजोर कर देता है, चाहे वह पार्टी का हो या सरकार का।
यह पहली बार नहीं है जब गडकरी ने अपनी ही सरकार या पार्टी नेतृत्व पर परोक्ष रूप से टिप्पणी की हो। पहले भी वे कई मौकों पर नौकरशाही में लालफीताशाही, निर्णयों में देरी और जनसंपर्क की कमी जैसे मुद्दों पर खुलकर बोल चुके हैं। उनके इस ताजा बयान को पार्टी के भीतर संतुलन और जमीनी स्तर से जुड़ाव बनाए रखने की अपील के तौर पर देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली इस ‘अहम’ वाली चेतावनी को कैसे लेती है।