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    ‘राष्ट्र प्रथम’ की विचारधारा को सर्वोपरि रखा.. मोदी ने भागवत को दी जन्मदिन की बधाई

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत को उनके 75वें जन्मदिन पर बधाई दी। मोदी ने अपने ब्लॉग में भागवत के जीवन, उनके नेतृत्व और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने 11 सितंबर के दिन को खास बताते हुए कहा कि यह दिन स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिए गए विश्वबंधुत्व के संदेश और 9/11 के आतंकी हमले की दुखद घटना दोनों से जुड़ा है।


    संघ कार्य के प्रति समर्पण

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनका भागवत के परिवार से गहरा संबंध रहा है। उन्होंने बताया कि उन्हें मोहन भागवत के पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत के साथ काम करने का मौका मिला था, जिनके बारे में उन्होंने अपनी पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ में भी लिखा है। उन्होंने कहा कि मधुकरराव जी ने ही अपने बेटे मोहन भागवत को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया था।

    मोदी ने भागवत को एक समर्पित प्रचारक बताते हुए कहा कि वे 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने थे, जब देश में आपातकाल लगा हुआ था। उन्होंने आपातकाल विरोधी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भागवत ने ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, खासकर विदर्भ और बिहार में काम किया। 2000 में वे सरकार्यवाह और फिर 2009 में सरसंघचालक बने।


    एक दूरदर्शी और मृदुभाषी नेता

    प्रधानमंत्री ने भागवत की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ की विचारधारा को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने कहा कि भागवत ने अपने नेतृत्व में संघ में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, जैसे कि गणवेश में परिवर्तन और संघ शिक्षा वर्गों में सुधार। कोरोना काल में उनके मार्गदर्शन को याद करते हुए मोदी ने कहा कि भागवत ने स्वयंसेवकों को समाजसेवा के लिए प्रेरित किया और टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया।

    मोदी ने भागवत के व्यक्तित्व की विशेषताओं पर भी बात की। उन्होंने कहा कि वे युवाओं के साथ आसानी से जुड़ जाते हैं और उनमें सुनने की अद्भुत क्षमता है। मोदी ने कहा कि भागवत हमेशा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के प्रबल समर्थक रहे हैं और उन्हें संगीत और गायन में भी रुचि है।


    पंच परिवर्तन और शताब्दी वर्ष

    पीएम मोदी ने भागवत के ‘पंच परिवर्तन’ के सिद्धांत का भी जिक्र किया, जिसमें स्व बोध, सामाजिक समरसता, नागरिक शिष्टाचार, कुटुम्ब प्रबोधन और पर्यावरण पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह संघ की शक्ति को समाज कल्याण के लिए उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ ही दिनों में विजयादशमी के दिन आरएसएस 100 वर्ष का हो जाएगा। यह एक सुखद संयोग है कि विजयादशमी का पर्व, गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी इसी दिन पड़ रही हैं। उन्होंने भागवत को एक दूरदर्शी और परिश्रमी नेता बताते हुए उनके दीर्घ और स्वस्थ जीवन की कामना की।

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