उप्र की अयोध्या नगरी में बन रहा भव्य राम मंदिर परिसर अब सिर्फ भगवान राम की अलौकिक उपस्थिति का साक्षी नहीं होगा, बल्कि राम जन्मभूमि आंदोलन के नायकों को भी अमर पहचान देगा। हाल ही में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है कि परिसर में निर्मित होने वाले विभिन्न भवनों और द्वारों का नाम उन महान विभूतियों के नाम पर रखा जाएगा, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई या सनातन परंपरा के ध्वजवाहक रहे। इस पहल का उद्देश्य उन सभी संतों, नेताओं और कार्यकर्ताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है, जिन्होंने दशकों तक चले इस आंदोलन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। जानकारी के अनुसार, राम मंदिर के चारों मुख्य प्रवेश द्वार देश की महान सनातन परंपरा के चार प्रमुख जगद्गुरुओं के नाम पर रखे जाएंगे। इससे धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व तो बढ़ेगा ही, साथ ही इन जगद्गुरुओं के योगदान को भी चिरस्थाई रूप से याद रखा जाएगा।
लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान
इसके अलावा, परिसर के भीतर बनने वाले विभिन्न सभागार, अतिथि भवन, शोध संस्थान और अन्य संरचनाओं के नाम भी उन हस्तियों के नाम पर रखे जाएंगे, जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया, न्यायिक लड़ाइयां लड़ीं या सांस्कृतिक-धार्मिक रूप से राम जन्मभूमि आंदोलन को मजबूती प्रदान की। यह एक ऐसा कदम है जो न केवल राम मंदिर के इतिहास को जीवंत रखेगा, बल्कि नई पीढ़ी को भी इन महान व्यक्तित्वों के त्याग और समर्पण से परिचित कराएगा। यह निर्णय राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान है और यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में भी इन नायकों को उनके योगदान के लिए स्मरण किया जाता रहे।
इनके नाम पर ये स्थल
- दक्षिण दिशा में 500 की क्षमता वाले एक सभागार का नाम विहिप के रणनीतिकार मंदिर आंदोलन के अगुवा अशोक सिंहल के नाम पर होगा।
- राम जन्मभूमि परिसर में निर्मित यात्री सुविधा केंद्र के प्रवेश द्वार का नामकरण बाबा अभिराम दास के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने 22-23 दिसंबर 1949 की रात विवादित परिसर के अंदर रामलला की मूर्ति रखी थी।
- यात्री सुविधा केंद्र के भवन को महंत अवेद्यनाथ यात्री सुविधा केंद्र के नाम से जाना जाएगा। यह भवन रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित है। महंत अवेद्यनाथ का मंदिर आंदोलन में अहम योगदान रहा और वह सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु हैं।
- राम जन्मभूमि दर्शन पथ पर स्थित यात्री सेवा केंद्र मंदिर आंदोलन के महानायक रामचंद्र दास परमहंस के नाम पर जाना जाएगा। वह राम जन्मभूमि न्यास के पहले अध्यक्ष थे। 9 नवंबर, 1989 को राम मंदिर का पहला शिलान्यास उनके नेतृत्व में किया गया था।