तमिलनाडु के रामेश्वरम में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री ब्रिज पंबन का उद्घाटन हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को समर्पित कर राज्य में कई अन्य विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। समुद्र के ऊपर बना यह रेलवे ब्रिज अतीत और भविष्य को जोड़ता है। इसे राम नवमी के दिन जनता के सामने पेश किया गया। पीएम ने रामेश्वरम से तांब्रम (चेन्नई) के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाई। एक तटरक्षक जहाज को भी रवाना किया। पीएम मोदी रामेश्वरम के प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान के दर्शन और पूजा-अर्चना की। उन्होंने 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे और सडक़ परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया।
श्रीराम के बनाए रामसेतु की तरह मजबूत
पंबन ब्रिज का सांस्कृतिक महत्व भी है। रामायण में भगवान राम की सेना ने राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के नजदीक धनुषकोडी से शुरू किया था। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस ब्रिज की लागत 550 करोड़ रुपये से अधिक है 2.08 किलोमीटर लंबा है। इसमें 99 स्पैन हैं और इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है, जो 17 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है। इससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकते हैं और ट्रेन सेवा भी सुचारू जारी रह सकती है।
यह हैं विशेषताएं
- पहला पंबन ब्रिज 1914 में ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया था और यह एक कैंटिलीवर डिजाइन का ब्रिज था।
- एक सदी से अधिक वक्त तक यह ब्रिज तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और व्यापारियों के लिए जीवनरेखा की तरह काम करता रहा। समुद्री माहौल से नुकसान और बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए सरकार ने फरवरी 2019 में नए तकनीकी और मजबूत पंबन ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी।
- नए पंबन ब्रिज का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने किया है, जो रेल मंत्रालय के अधीन नवरत्न कंपनी है।
- पर्यावरणीय प्रतिबंध, समुद्र की तेज लहरें, तेज हवाएं और खराब मौसम जैसी कई चुनौतियां आईं। इसलिए इंजीनियरों ने बहुत सोच-समझकर मजबूत डिजाइन तैयार किया।