भारत ने मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने देश का पहला स्वदेशी मलेरिया टीका तैयार कर लिया है। इसे ‘एडफाल्सीवैक्स’ नाम दिया गया है, और यह मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है। यह टीका ICMR और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (RMRTC) के शोधकर्ताओं के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि यह स्वदेशी टीका संक्रमण को रोकने वाले मजबूत एंटीबॉडी बनाता है और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय टीकों की तुलना में अधिक प्रभावी है। वर्तमान में बाजार में उपलब्ध मलेरिया के टीकों की प्रति खुराक कीमत लगभग 800 रुपये है, जबकि भारतीय टीके के किफायती होने की उम्मीद है।
इस महत्वपूर्ण सफलता के बाद, ICMR ने इस टीके के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निजी कंपनियों के साथ समझौता करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह टीका देश के कोने-कोने तक पहुंचे और मलेरिया के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करे। यह न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर मलेरिया उन्मूलन के प्रयासों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।