भारत विरोध का झंडा लहरा रहे खालिस्तीनियों के समर्थक कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की पारी अब खत्म हो गई है। सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के 59 वर्षीय नेता मार्क कार्नी देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। कार्नी के पीएम के लिएचुने जाने के बाद अब सवाल है कि भारत और कनाडा के रिश्ते कैसे होंगे। ट्रूडो ने भारत के साथ रिश्तों को निचले स्तर पर पहुंचा दिया था। ऐसे में नए पीएम से भारत को काफी उम्मीदें हैं। मार्क कार्नी को अब भारत के साथ बिगड़े हुए संबंधों को सुधारने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। कनाडा ने नए पीएम ने इस बात के संकेत भी दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि वे समान विचारधारा वाले देशों के साथ कनाडा के व्यापार संबंधों में विविधता लाने के लिए काम करेंगे। इसके साथ ही उन्हें देश में सिर उठा चुके खालिस्तानियों से भी निपटना होगा।
संबंधों को बेहतर करने का संकल्प
कार्नी ने भारत के साथ कनाडा के तनावपूर्ण संबंधों को पुनर्निर्माण करने का संकल्प लिया है। कार्नी ने कहा कि कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है। भारत के साथ संबंधों को पुन: मजबूत करने के अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल संबंधों के इर्द-गिर्द मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए। अगर मैं प्रधानमंत्री हूं तो मैं इसे बनाने के अवसर की प्रतीक्षा करूंगा।
खालिस्तीनियों से निपटने चुनौती
कार्नी की असली चुनौती लिबरल पार्टी में ही मौजूद खालिस्तानी समर्थकों से निपटना होगा, जो पार्टी पर काफी प्रभाव रखते हैं। भारत इस बात पर करीब से नजर रखेगा कि क्या कार्नी कनाडा की धरती पर भारत विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कोई कड़ा रुख़ अपनाते हैं। कार्नी घरेलू राजनीतिक दबावों, खास तौर पर सिख और भारतीय प्रवासियों को कैसे संभालते हैं। व्यापार एक ऐसा क्षेत्र है जहां कार्नी का नेतृत्व भारत को प्रभावित कर सकता है। वहीं उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी संतुलन बनाना होगा, जिन्होंने हाल ही में कहा था कि वह कनाडा को अमेरिका का एक राज्य बना देंगे।