भूटान का डोकलाम तो आपको याद ही होगा। 7 साल पहले चीन ने यहां पर कब्जा करने की कोशिश की थी, लेकिन तब भारत के सैनिक उसके सामने डटकर खड़े हो गए। कई दिनों तक चली तनातनी के बीच चीन को वहां से अपने पैर वापस खींचने पड़े। अब फिर एक बार ड्रैगन डोकलाम पर नजर गड़ाए हुए है। खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि चीन ने भूटान के रणनीतिक क्षेत्र डोकलाम पठार से कम से कम 22 गांव और बस्तियों का निर्माण किया है। इस खबर से भारत की चिंता बढ़ गई है। जो सैटेलाइट इमेज नजर आ रही है, उसके मुताबिक इन बस्तियों में 752 आवासीय ब्लॉक हैं।चीनी अधिकारियों ने लगभग 7000 लोगों को भूटान के इन निर्जन क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया है। ऐसे में चीन की यह चाल भारत के लिए बड़ी चिंता बन रही है।
ट्राई जंक्शन है डोकलाम
डोकलाम तीनों देशों के बीच तनाव को केंद्र बिंदु रहा है। डोकलाम भारत, भूटान और चीन के बीच ट्राई जंक्शन है। यहां 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव हुआ था। तब यह तनातनी करीब 73 दिनों तक चली थी। भारत ने वहां सडक़ बनाने के चीनी प्रयास के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए इसे नाकाम कर दिया था। दरअसल यह भारत के और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच एक संकरा लैंड रूट है। अगर यहां चीनी घुसपैठ बढ़ी तो इससे भारत की सुरक्षा पर खतरा हो सकता है। गौरतलब है कि भूटान भले ही स्वतंत्र राष्ट्र है लेकिन उसकी सुरक्षा का उत्तरदायित्व भारत के पास है। ऐसे में भारत और भूटान के रिश्ते बहुत मजबूत हैं। यही वजह है कि जब चीन ने डोकलाम पर नजर गड़ाई तो भारत उसके खिलाफ डटकर खड़ा हो गया। यह पहली बार था जब भारत और चीन के बीच सीधा टकराव हुआ। तब भारत तो झुका नहीं लेकिन चीन को जरूर अपने पांव पीछे खींचने पड़े थे।
भारत के लिए क्यों जरूरी है डोकलाम?
भूटान और भारत के बीच डोकलाम पर सहमति है और 2007 में भारत की भूटान से शांति संधि हुई थी। इस बीच सवाल है कि क्या चीन ने भूटान को भारतीय सीमा के नजदीक इलाके छोडऩे के लिए मजबूर किया है। भूटान के प्रधानमंत्री की हाल की भारत यात्रा के दौरान डोकलाम की नजदीक चीन के निर्माण कार्य के बारे में भारत को नहीं बताया गया। दरअसल तब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगे हुए थे। इसी बीच एनएसए अजीत डोभाल भी चीन की यात्रा पर थे।
चीन का सभी से सीमा विवाद
गौरतलब है कि चीन ने अपने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ भूमि सीमा विवादों को हल कर लिया है। हालांकि भारत और भूटान के साथ उसने सीमा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में भारत का पुराना मित्र भूटान किसी समझौते पर सहमत नहीं है क्योंकि चीन ने वर्षों से विवादित क्षेत्र पर धीरे-धीरे अतिक्रमण किया है। बीजिंग ने भूटान के क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए 6 आयामी रणनीति बनाई है। पहले चरण में चीन के तिब्बती चरवाहों को विवादित भूमि पर भेजा जिन्होंने भूटानी चरवाहों को उन क्षेत्रों से बाहर कर दिया। दूसरे चरण में वहां झोपडिय़ां और आश्रय बनाए। इसके बाद पैदल गश्ती सी भेजी। चौथे चरण में सैनिक चौकियां के उपयोग के लिए तात्कालिक स्ट्रक्चर बनाए। इसके बाद इन्हें स्थाई स्ट्रक्चर में अपग्रेड किया। दावा किया जा रहा है कि चीन ने यहां पर सडक़ बनाई है और बस्तियां भी बनाई हैं।