छत्तीसगढ़ में हरेली के त्यौहार का विशेष महत्व है। हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है जिसके बाद खेती-किसानी की शुरुआत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्यौहार परंपरागत रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है। किसान खेती-किसानी में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं और घरों में माटी पूजन होता है। गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद लेते हैं। इस त्यौहार से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोक पर्वों की महत्ता भी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा ही माना जाता है। वहीं हरेली के उल्लास को संजोने मुख्यमंत्री निवास परंपरागत तरीके से सजाया जा रहा है। हरेली के दिन 4 अगस्त को यहां किसान भाइयों के हल खुरपी नजर आएगे तो गेड़ी में लोगों का उत्साह नजर आएगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उनके मंत्रिमंडल सहयोगी और अतिथि इस अवसर पर हरेली का आनंद लेंगे और परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करेंगे।
बिखरेगी आयोजनों की छठा
हरेली तिहार पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सबसे पहले विधिविधान से कृषि उपकरणों की पूजा करेंगे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अंचल के सभी नृत्य एवं लोकगीतों का आयोजन करने कहा है, ताकि पूरा छत्तीसगढ़ समवेत रूप में मुख्यमंत्री निवास में अपने पूरे सांस्कृतिक वैविध्य में नजर आए। करमा, राउत नाचा के सुंदर गीतों और लयबद्ध नृत्य के साथ आयोजन की शुरुआत होगी। परंपरागत खेलों का आयोजन भी होगा जिसमें डंडा, भौंरा, बांटी जैसे खेल होंगे। हरेली आयोजन में सबसे यादगार गेड़ी होती है। गेड़ी में चलकर लोग पुराने दिनों को याद करेंगे।
एक पेड़ मां के नाम लगाने का संदेश देंगे सीएम
मुख्यमंत्री हरेली त्योहार से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा करेंगे और जनमानस को हरेली का संदेश भी देंगे। इस बार हरेली इस मायने में भी खास है कि पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम लगाने का संदेश दिया है और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में लोग बढ़-चढक़र इसमें हिस्सा ले रहे हैं। चूंकि हरेली त्योहार प्रकृति का ही त्योहार है इसलिए मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में प्रदेश के नागरिकों से कहा है कि धरती मां ने हमें अमूल्य संसाधन दिये हैं, छत्तीसगढ़ की धरती बहुत सुंदर धरती है। अपनी धरती मां का श्रृंगार करने एक पेड़ जरूर लगाएं। इस दिन पूरे प्रदेश में लोग पौधे लगाएंगे।