आमतौर पर लोग बेहतर जीवन की तलाश में गांव छोड़कर शहरों का रुख करते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के किसान अशोक तपस्वी ने इससे उलट एक मिसाल कायम की है। महाराष्ट्र के पुणे शहर की आरामदायक जिंदगी को छोड़कर, वे अपने पुश्तैनी गांव लौट आए और अपनी बंजर जमीन पर ऐसा कमाल कर दिखाया है जिसकी चारों तरफ चर्चा हो रही है। उन्होंने अपनी बंजर जमीन को भारत का पहला ऑर्गेनिक सिंदूर फार्म बना दिया है।
अशोक तपस्वी को यह अनोखा आइडिया तब आया जब उन्होंने बाजार में मिलने वाले सिंदूर में मौजूद हानिकारक केमिकल्स (जैसे लेड और मरकरी) के बारे में जाना, जिनसे त्वचा और बालों को नुकसान पहुँचता है। इन समस्याओं से परेशान होकर, उन्होंने आयुर्वेद में इसका समाधान ढूंढा। उन्हें ‘अनाट्टो’ नामक एक पौधे के बारे में पता चला, जिसके लाल बीजों से प्राकृतिक और केमिकल-फ्री सिंदूर बनता है।
शुरूआत में उन्होंने अपनी बंजर जमीन पर सिर्फ पाँच-छह अनाट्टो के पौधे लगाए और ऑर्गेनिक तरीके से मिट्टी को उपजाऊ बनाया। सालों की मेहनत और लगन के बाद, आज उनके पास 400 से भी ज्यादा अनाट्टो के पेड़ हैं। इन पेड़ों से निकलने वाला लाल रंग न सिर्फ सिंदूर बनाने में इस्तेमाल होता है, बल्कि लिपस्टिक, कपड़ों के रंग और खाने के रंग के तौर पर भी बिकता है।
अशोक तपस्वी के लिए यह सिर्फ खेती नहीं है, बल्कि एक मिशन है। वे इसके जरिए गांवों में रोजगार पैदा कर रहे हैं, पर्यावरण का ध्यान रख रहे हैं और केमिकल-फ्री उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका सिंदूर 500 रुपये प्रति 10 ग्राम में बिकता है, जिससे उन्होंने सालाना 45 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई की है। लेकिन उनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं, बल्कि दूसरे किसानों को भी इस प्राकृतिक खेती से जोड़कर उनकी जिंदगी में सुधार लाना है।