आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना की हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘थामा’ ने अपनी रिलीज़ के 7वें दिन (पहले सोमवार) कमाई में बड़ी गिरावट दर्ज की है, लेकिन यह जल्द ही 100 करोड़ के क्लब में एंट्री लेने को तैयार है। Sacnilk की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘थामा’ ने 7वें दिन लगभग 4.25 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन किया, जो कि रविवार की कमाई (12.6 करोड़ रुपये) से 65% से अधिक की गिरावट है। 7 दिनों में फिल्म का कुल घरेलू नेट कलेक्शन 95.55 करोड़ रुपये हो गया है। फिल्म अब 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने से मात्र 4.45 करोड़ रुपये दूर है।
7 दिनों में फिल्म का वर्ल्डवाइड कलेक्शन करीब 129 करोड़ रुपये हो चुका है। यह फिल्म 145 करोड़ रुपये के बड़े बजट में बनी है, और सात दिन बाद भी यह अपना बजट पार नहीं कर पाई है। छोटे बजट में बनी फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने पहले सोमवार को ‘थामा’ को कड़ी टक्कर दी, हालांकि ‘थामा’ का कलेक्शन उससे थोड़ा ज्यादा रहा।कमजोर स्क्रिप्ट के कारण आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद, ‘थामा’ जल्द ही 100 करोड़ का आंकड़ा पार करने वाली है, लेकिन इसकी रफ्तार पहले सोमवार से धीमी पड़ गई है।
थामा’ की कहानी
आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना अभिनीत फिल्म ‘थामा’ ‘मैडॉक हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स’ की एक “खूनी प्रेम कहानी” है, जो भारतीय लोक कथाओं में मौजूद ‘बेताल’ के मिथक पर आधारित है। आलोक दिल्ली का एक पत्रकार है, जो अपने दोस्तों के साथ ट्रैकिंग के लिए जंगल में जाता है। वहाँ एक भालू के हमले से वह घायल हो जाता है। जंगल में रहने वाली एक रहस्यमयी युवती ताड़का आलोक की जान बचाती है। ताड़का, अलौकिक शक्तियों से लैस अमर बेतालों (एक तरह के पिशाच/वैम्पायर) की एक ऐसी प्रजाति से है जिसने इंसानों से दूरी बना ली है।
आलोक और ताड़का के बीच प्यार हो जाता है, लेकिन उनका साथ रहना बेतालों और इंसानों दोनों के संसार का संतुलन बिगाड़ सकता है।बेतालों का दुष्ट मुखिया यक्षशासन (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) है, जो बरसों से शापित पर्वत पर कैद है। आलोक का एक दुर्घटना होती है, और उसे बचाने के लिए ताड़का उसका खून पी लेती है, जिसके कारण आलोक भी बेताल बन जाता है। इस नियम के टूटने से ताड़का को कैद कर लिया जाता है, और यक्षशासन मुक्त हो जाता है। फिल्म की कहानी एक आम इंसान के बेताल बनने और उनके बीच की इस अलौकिक प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका सामना अब मुक्त हो चुके यक्षशासन से होता है, जिससे इंसानियत पर खतरा मंडराने लगता है।


