भारत ने हाल ही में बंगाल की खाड़ी में परमाणु संचालित पनडुब्बी INS अरिघात (INS Arighaat) से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने न केवल भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता (Nuclear Triad) को मजबूत किया है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति, विशेषकर बांग्लादेश के संदर्भ में, एक बड़ा संदेश भी दिया है।
K-4 मिसाइल: समुद्र की गहराई से प्रहार
K-4 एक ‘पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल’ (SLBM) है, जिसे DRDO ने विकसित किया है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- रेंज और पेलोड: यह लगभग 3,500 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य को भेद सकती है और 2 टन तक का परमाणु पेलोड ले जाने में सक्षम है।
- सटीकता: इसमें उन्नत नेविगेशन सिस्टम (NavIC) का उपयोग किया गया है, जिससे इसकी सटीकता (CEP) 10 मीटर से भी कम है।
- अजेय शक्ति: पनडुब्बी से लॉन्च होने के कारण इसे ट्रैक करना और नष्ट करना दुश्मन के लिए लगभग असंभव होता है, जो भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति के तहत ‘सेकंड स्ट्राइक’ क्षमता को सुनिश्चित करता है।
बांग्लादेश के संदर्भ में कड़ा संदेश
वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार, इस परीक्षण के समय और स्थान का महत्व बहुत अधिक है:
- नाक के नीचे शक्ति प्रदर्शन: यह परीक्षण विशाखापत्तनम के तट के पास बंगाल की खाड़ी में किया गया। बांग्लादेश (मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार) में जारी अस्थिरता और वहां बढ़ते कट्टरपंथ के बीच, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी समुद्री सीमाओं और क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
- पूरा क्षेत्र जद में: 3,500 किमी की रेंज का अर्थ है कि केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि चीन और पाकिस्तान के बड़े हिस्से भी अब भारतीय पनडुब्बियों की सीधी मारक सीमा में हैं।
- चीन-पाकिस्तान को चेतावनी: हाल के समय में बांग्लादेश में चीनी हस्तक्षेप और पाकिस्तान समर्थित तत्वों की सक्रियता बढ़ी है। INS अरिघात से हुआ यह गुप्त परीक्षण भारत के विरोधियों के लिए एक ‘डिटरेंस’ (निवारक) के रूप में कार्य करता है।
रक्षात्मक स्थिति में भारत का बढ़ता कद
| विशेषता | विवरण |
| प्लेटफ़ॉर्म | INS अरिघात (6,000 टन परमाणु पनडुब्बी) |
| गति | मैक 5 (हाइपरसोनिक गति के करीब) |
| रणनीतिक महत्व | भारत अब उन चुनिंदा 6 देशों में शामिल है जिनके पास यह तकनीक है। |
एक नई भू-राजनीतिक वास्तविकता
मोदी सरकार की इस ‘साइलेंट डिप्लोमेसी’ ने पड़ोसी देशों को यह संदेश दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। जहाँ एक ओर बांग्लादेश आंतरिक संकट से जूझ रहा है, वहीं भारत ने अपनी रक्षा तकनीक को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाकर यह साबित कर दिया है कि वह दक्षिण एशिया में स्थिरता और शक्ति का मुख्य केंद्र है।


