राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 24 जुलाई, 2025 को एक सनसनीखेज बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कुछ खास परिस्थितियों में चुनाव बहिष्कार की संभावना जताई है। उनके इस बयान ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है और विभिन्न राजनीतिक दलों से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा, “यदि उन्होंने ये बात कही तो उन्हें स्वतंत्र बात करनी ही चाहिए। हमारा विश्वास सुप्रीम कोर्ट के साथ है और हमारा विश्वास इस सदन के साथ है। हर कीमत पर अगर सदन में हमारी बात दबाई जाएगी तो सुप्रीम कोर्ट में तो नहीं दबाई जाएगी ना और जब सारे रास्ते बंद हो जाएंगे तब तेजस्वी ने जो कहा है वह अंतिम प्रक्रिया है। उससे पहले हम सब लोग मिलकर दोनों सदनों से इस्तीफा देकर और सत्ता पक्ष को अकेले सदन चलाने दें।”
तेजस्वी का बयान और उसके निहितार्थ
उन्होंने कहा, “अगर चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं होंगे, और जनता का विश्वास चुनाव प्रक्रिया से उठ जाएगा, तो हमारे पास चुनाव बहिष्कार का विकल्प भी खुला रहेगा।” तेजस्वी ने अपने बयान में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का हवाला दिया और कहा कि अगर चुनावी प्रक्रिया में धांधली होती है या विपक्ष को बराबरी का मौका नहीं मिलता, तो चुनाव में भाग लेने का कोई औचित्य नहीं रहेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
तेजस्वी के इस बयान पर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि यह बयान आरजेडी की हताशा को दर्शाता है, क्योंकि उन्हें आगामी चुनावों में अपनी हार स्पष्ट दिख रही है। बीजेपी नेताओं ने तेजस्वी पर लोकतंत्र को कमजोर करने और संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने का आरोप लगाया।
आरजेडी के कुछ सहयोगी दलों ने तेजस्वी के बयान का समर्थन किया है, जबकि कुछ ने इस पर सावधानी से टिप्पणी की है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह तेजस्वी यादव का एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके जरिए वे विपक्षी एकता को मजबूत करने और जनता के बीच चुनाव सुधारों की आवश्यकता पर जोर देने की कोशिश कर रहे हैं।