राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे संसद द्वारा पारित एक विशिष्ट कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे। हालांकि उन्होंने अपने बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस कानून की बात कर रहे थे, लेकिन उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ऐसे कानून बना रही है जो जनता के हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम जनता के साथ हैं और अगर हमें मौका मिला तो हम ऐसे हर कानून को, जो देश और इसके लोगों के खिलाफ है, उसे उठाकर कूड़ेदान में फेंक देंगे। भाजपा ने इसका करारा जवाब देते हुए आपातकाल और 50 साल पुरानी मानसिकता बताया है। भाजपा ने कहा कि यह बयान संसद की गरिमा का अपमान है। कानून लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बनते हैं और उन्हें इस तरह कूड़ेदान में फेंकने की बात करना गैर-जिम्मेदाराना है। यह दर्शाता है कि राजद को कानून के शासन में विश्वास नहीं है।
ना संसद का सम्मान, ना न्यायपालिका का सम्मान
राजद नेता तेजस्वी यादव के बयान पर भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि कल पटना के उसी गांधी मैदान में जहां आपातकाल के दौरान संविधान की रक्षा और सम्मान के लिए जान की परवाह किए बिना लाखों लोग एकत्रित हुए थे, वहां एक ऐसी रैली हुई जहां इंडी गठबंधन के बिहार के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हम संसद से पारित एक कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे। यह बहुत गंभीर विषय है। उन्होंने वक्फ बोर्ड के कानून के लिए ऐसा कहा है। इसका अर्थ यह हुआ कि ना संसद का सम्मान, ना न्यायपालिका का सम्मान। वोट बैंक की चाहत में जो कुछ भी तेजस्वी यादव और इंडी गठबंधन के नेताओं के द्वारा बोला गया है उससे साफ है कि वे संविधान को कूड़ेदान में फेंकने की 50 साल पुरानी मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे हैं।