अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने हाल ही में संकेत दिया है कि रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने के कारण चीन पर भी टैरिफ लगाया जा सकता है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने पहले ही रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है, जिससे कुल शुल्क बढ़कर 50% हो गया है। वेंस के अनुसार, ट्रंप प्रशासन की यह ‘द्वितीयक टैरिफ’ रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रूस के उन तेल खरीदार देशों को आर्थिक रूप से दंडित करना है जो यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को को मजबूत कर रहे हैं।
चीन ने दिया कड़ा जवाब
हालांकि, चीन ने अमेरिका की इन धमकियों को सिरे से खारिज कर दिया है और स्पष्ट किया है कि वह रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उनका रूस से तेल आयात करना वैध और कानूनी है। चीन का कहना है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा के आधार पर उचित कदम उठाता रहेगा।
भारत और चीन की प्रतिक्रिया
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर किसी देश पर दबाव बनाया हो। भारत पर लगाए गए टैरिफ के बाद चीन ने भारत का समर्थन करते हुए कहा था कि टैरिफ का दुरुपयोग करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। चीन ने ट्रंप को चेतावनी भी दी थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। हालांकि, अमेरिका ने चीन को 90 दिन की मोहलत दी है, जबकि भारत पर तुरंत टैरिफ लागू कर दिया गया। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका भारत को कम राजनीतिक जोखिम वाला मानता है, जबकि चीन के साथ उसके संबंध अधिक जटिल हैं।