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    झोपड़ी में रहकर गढ़ी प्रतिभा.. 17 वर्षीय पूजा पाल ने बनाया ‘धूल रहित थ्रेसर’

    उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की 17 वर्षीय पूजा पाल ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी पहचान या संसाधनों की मोहताज नहीं होती। एक साधारण झोपड़ी में रहकर पली-बढ़ीं पूजा ने अपनी असाधारण सोच और कड़ी मेहनत से किसानों की एक बड़ी समस्या का समाधान निकाला है। इस युवा वैज्ञानिक ने एक ऐसा धूल रहित थ्रेसर (Dust-free Thresher) विकसित किया है, जो खेती के दौरान होने वाले प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को काफी हद तक कम कर सकता है।

    पूजा की यह खोज इसलिए भी खास है क्योंकि वह ऐसे परिवार से आती हैं जहां मूलभूत सुविधाएं भी मुश्किल से मिलती हैं। इसके बावजूद, उन्होंने अपने सपनों को पंख दिए और किसानों की दिक्कतों को करीब से समझा। थ्रेसर से निकलने वाली धूल किसानों के फेफड़ों के लिए कितनी खतरनाक होती है, इसे उन्होंने महसूस किया और ठान लिया कि वह इसका कोई समाधान निकालेंगी।

    कई दिनों के अध्ययन और प्रयास के बाद, पूजा ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया जो पारंपरिक थ्रेसर से निकलने वाली धूल को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है। उनके इस आविष्कार को देखकर हर कोई हैरान है। स्थानीय कृषि विशेषज्ञों ने भी पूजा के इस काम की सराहना की है और इसे किसानों के लिए एक गेम चेंजर बताया है। उनका यह मॉडल न केवल किसानों को धूल से होने वाली बीमारियों से बचाएगा, बल्कि फसल कटाई के काम को भी अधिक कुशल बनाएगा।

    पूजा की कहानी उन लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखने का साहस करते हैं। उनकी यह सफलता दर्शाती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और नवाचार की सोच से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। बाराबंकी की यह ‘बाल वैज्ञानिक’ आज अपने जिले और प्रदेश का नाम रोशन कर रही है।

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