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    शिक्षा में स्वराज की शुरुआत होगी, दोबारा इतिहास लिखा जा रहा, देखें BJP ने वीडियो क्या कहा?

    राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तकों में कथित रूप से इतिहास को फिर से लिखे जाने के मुद्दे पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक वीडियो जारी कर इस कदम का बचाव किया है, जिसमें दावा किया गया है कि इतिहास को “शत-प्रतिशत सच” और “इस राष्ट्र के गौरव का साक्षी” बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। भाजपा का कहना है कि TV के Ad से लेकर इतिहास बताती फिल्मों तक एक सोच थी, एक षड्यंत्र था, देश की युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति के इतिहास से दूर रखने का। किताबों के जरिए छात्रों के दिमाग में बैठाया गया कि मुगलों के अधीन रहना ही भारत की नियति थी और भारत के पास अपना कोई वैभवशाली इतिहास नहीं था। लेकिन, अब मोदी सरकार ने दशकों से चले आ रहे इस जाल को काटने की ऐतिहासिक शुरुआत की है। NCERT की किताबों में दोबारा इतिहास लिखा जा रहा है, जो शत-प्रतिशत सच है और इस राष्ट्र के गौरव का साक्षी है। “यहां से शुरुआत होगी शिक्षा में स्वराज की, जो भारत को भारत बनाती है।”

    भाजपा द्वारा जारी किए गए वीडियो में जोर देकर कहा गया है कि पहले की पाठ्यपुस्तकों में भारतीय इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को या तो अनदेखा किया गया था या उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था। वीडियो में बताया गया है कि अब पाठ्यपुस्तकों में ऐसे नायकों और घटनाओं को शामिल किया जा रहा है, जिन्हें पहले पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया था, जिससे छात्रों को अपने देश के समृद्ध इतिहास और संस्कृति पर गर्व हो सके। इसमें मुख्य रूप से भारतीय सभ्यता के प्राचीन गौरव, विभिन्न साम्राज्यों के योगदान और उन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान पर प्रकाश डाला गया है, जिन्हें पहले हाशिए पर रखा गया था।

    भाजपा नेताओं का कहना है कि यह “इतिहास का शुद्धिकरण” है, ताकि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ा जा सके और उन्हें अपनी विरासत के प्रति जागरूक किया जा सके। उनका तर्क है कि यह सिर्फ इतिहास को दोबारा लिखना नहीं है, बल्कि उसे सही परिप्रेक्ष्य में लाना है, जिसमें औपनिवेशिक मानसिकता के प्रभावों को कम किया जा सके और भारतीय दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके।

    हालांकि, विपक्षी दलों और कुछ शिक्षाविदों ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे “इतिहास का भगवाकरण” बताया है। उनका आरोप है कि सरकार अपनी विचारधारा के अनुरूप इतिहास को विकृत कर रही है, जिससे छात्रों को एकतरफा और पक्षपातपूर्ण जानकारी मिलेगी। इस मुद्दे पर शिक्षाविदों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच बहस लगातार जारी है, जिसमें इतिहास की व्याख्या और उसके प्रस्तुतीकरण पर विभिन्न दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं।

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