सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर प्रयागराज विकास प्राधिकरण को फटकार लगाई है। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण बोर्ड (पीडीए) को पांच याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अफसरों में संवेदनशीलता नहीं है। ये मकान कानून की प्रक्रिया का पालन किए बगैर गिराए गए थे। इस कार्रवाई ने हमारी अंतरात्मा हिला दी। बुलडोजर चलने की ये घटनाएं 2021 में हुई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत नागरिकों के मूल अधिकार का उल्लंघन माना है। नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर घर गिराने की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध थी। कोर्ट ने इसे समाज में गलत संदेश फैलाने वाली और कानून के शासन के खिलाफ कार्रवाई करार दिया।
बच्ची के वीडियो का दिया हवाला
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने कहा कि मुआवजा प्रभावितों को राहत देने के साथ सरकार को भविष्य में इस तरह की मनमानी रोकने के लिए भी है। एक वायरल वीडियो का हवाला देते हुए बुलडोजर एक्शन के दौरान एक बच्ची अपनी किताबें लेकर ढहती झोपड़ी से भागती दिख रही है। कोर्ट ने इसे अंतरात्मा को झकझोरने वाला करार दिया। कोर्ट ने पहले के दिशानिर्देशों का भी हवाला दिया जिसमें किसी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपने खर्चे पर घर दोबारा बनाने की अनुमति दी लेकिन कहा कि अगर उनकी अपील खारिज होती है तो उन्हें निर्माण हटाना होगा।