भाजपा ने बड़े राज्यों पर हार पर माथापच्ची शुरू कर दी है। सबसे ज्यादा चिंता यूपी की है, जहां के मतदाताओं ने भाजपा को इस बार तगड़ा झटका दे दिया। भाजपा को उम्मीद थी कि राममंदिर बनने पर उसे एकमुश्त वोट मिलेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा को बराबरी पर रोक दिया। इससे बहुमत के लिए जरूरी संख्या भाजपा नहीं जुटा पाई। जब इसकी पड़ता करने के लिए राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष पहुंचे तो उन्हें भी इसी सच्चाई से रूबरू होना पड़ा। उन्होंने दलित मंत्रियों और अनुसूचित मोर्चे के पदाधिकारियों से सीधा सवाल किया कि दलितों के वोट क्यों नहीं मिले। यूपी के 7 दलित मंत्रियों ने इसके पीछे विपक्ष के फैलाए गए भ्रम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने संविधान बदलने और आरक्षण खत्म होने का ऐसा नैरेटिव फैलाया कि उनमें से कोई भी अपने समाज के वोटर को समझा नहीं पाया। यही वजह रही कि दलितों के वोट सपा और कांग्रेस को चले गए तो यादवों ने भी पूरी तरह भाजपा का साथ नहीं दिया।
दलित और पिछड़ों में नाराजगी बढ़ी
भाजपा के दलित नेताओं ने कहा कि अब अधिकतर सरकार विभागों में आउटसोर्सिंग से भर्तियां हो रही हैं। इनमें आरक्षण नहीं होता है, जिससे दलित युवाओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिलता। इससे दलित और पिछड़े वर्ग के युवाओं में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ी है। उस पर विपक्ष ने आरक्षण खत्म होने और संविधान बदलने का नैरेटिव फैलाया तो दलितों ने उस पर विश्वास कर लिया। एक नेता ने तो यह भी सुझाव दिया कि अलग से रिजर्वेशन दिया जाए तो दलित फिर से बीजेपी से जुड़ जाएंगे।
अब यह करेगी बीजेपी
बैठक में तय हुआ कि दलितों से संवाद बढ़ाया जाएगा, मंत्री दलितों के घर जाएंगे। छोटे-बड़े सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। ज्यादा से ज्यादा दलितों को पार्टी से जोड़ा जाएगा। साथ ही सोशल मीडिया में सक्रियता से काम कर विपक्ष के प्रोपेगंडा को ध्वस्त किया जाएगा।