ग्वालियर के एक छोटे से शहर से निकलकर दिल्ली पहुंचे सागर गुप्ता ने बचपन से ही अपने जुनून को पहचाना। जहाँ दूसरे बच्चे खिलौनों से खेलते थे, वहीं वह पुराने बल्बों, तारों और खराब रेडियो के साथ प्रयोग करते थे। उनके इस कबाड़ प्रेम को परिवार ने भले ही एक शौक समझा हो, लेकिन सागर के मन में एक बड़े भविष्य की नींव पड़ रही थी। चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) बनने का सपना छोड़कर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में कदम रखा और अपने पिता के अनुभव के साथ मिलकर मात्र चार साल में एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड नाम की 600 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी।
चुनौतियों से भरा था रास्ता
सागर गुप्ता का बचपन सीमित संसाधनों में बीता। उनके पिता, चंद्र प्रकाश गुप्ता, ने 30 साल पहले दिल्ली के चांदनी चौक में एक छोटे से कमरे से इलेक्ट्रॉनिक सामानों का कारोबार शुरू किया था। सागर ने रोहिणी के सचदेवा पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम (ऑनर्स) किया। उनका लक्ष्य तो सीए बनना था, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।
22 साल की उम्र में, साल 2018 में, सागर ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। उनका यह नया उद्यम ऐसे समय में शुरू हुआ जब पूरी दुनिया आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रही थी। वैश्विक मंदी, कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और सेमीकंडक्टर की भारी कमी जैसी चुनौतियों ने उनके रास्ते को कठिन बना दिया। आपूर्ति श्रृंखला में भारी रुकावट और उत्पादन लागत में वृद्धि जैसी बाधाओं के बावजूद, सागर और उनकी टीम ने हार नहीं मानी। अपनी दृढ़ता और नवाचार के दम पर उन्होंने न केवल कंपनी को संभाला, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक भी पहुँचाया।
छोटे कदमों से बनाई वैश्विक पहचान
पिता के तीन दशकों के अनुभव और सागर के युवा जोश ने मिलकर कमाल कर दिया। चार साल के भीतर ही, उनकी कंपनी का टर्नओवर 600 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। आज, एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स 100 से ज्यादा मशहूर कंपनियों के लिए काम करती है और हर महीने 1 लाख से अधिक टीवी का उत्पादन करती है।
कंपनी न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशी ब्रांड्स के लिए भी एलसीडी और एलईडी जैसे उत्पाद बनाती है, जिससे उसने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी मजबूत पहचान बना ली है। सोनीपत में स्थित कंपनी के कारखाने में 1,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, जहाँ वाशिंग मशीन, इंडक्शन कुकटॉप, मल्टीमीडिया स्पीकर और इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (IFPD) जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2024 में, कंपनी ने राजस्व में 1121.95% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की।
युवाओं के लिए प्रेरणा
सागर गुप्ता की कहानी युवाओं के लिए एक बड़ी सीख है। यह दर्शाती है कि सपनों की उड़ान तभी सफल होती है जब इरादों में दम हो। उन्होंने साबित कर दिया कि बाधाएं सिर्फ चुनौती हैं, और दृढ़ता, कड़ी मेहनत और नवाचार के साथ कोई भी व्यक्ति असंभव को संभव बना सकता है। उनकी सफलता की कहानी ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने और हजारों युवाओं को रोजगार देने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
सक्सेस स्टोरी: सीए बनने का सपना छोड़ सागर गुप्ता ने खड़ी की 600 करोड़ की कंपनी
ग्वालियर के एक छोटे से शहर से निकलकर दिल्ली पहुंचे सागर गुप्ता ने बचपन से ही अपने जुनून को पहचाना। जहाँ दूसरे बच्चे खिलौनों से खेलते थे, वहीं वह पुराने बल्बों, तारों और खराब रेडियो के साथ प्रयोग करते थे। उनके इस कबाड़ प्रेम को परिवार ने भले ही एक शौक समझा हो, लेकिन सागर के मन में एक बड़े भविष्य की नींव पड़ रही थी। चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) बनने का सपना छोड़कर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में कदम रखा और अपने पिता के अनुभव के साथ मिलकर मात्र चार साल में एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड नाम की 600 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी।
चुनौतियों से भरा था रास्ता
सागर गुप्ता का बचपन सीमित संसाधनों में बीता। उनके पिता, चंद्र प्रकाश गुप्ता, ने 30 साल पहले दिल्ली के चांदनी चौक में एक छोटे से कमरे से इलेक्ट्रॉनिक सामानों का कारोबार शुरू किया था। सागर ने रोहिणी के सचदेवा पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम (ऑनर्स) किया। उनका लक्ष्य तो सीए बनना था, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।
22 साल की उम्र में, साल 2018 में, सागर ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। उनका यह नया उद्यम ऐसे समय में शुरू हुआ जब पूरी दुनिया आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रही थी। वैश्विक मंदी, कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और सेमीकंडक्टर की भारी कमी जैसी चुनौतियों ने उनके रास्ते को कठिन बना दिया। आपूर्ति श्रृंखला में भारी रुकावट और उत्पादन लागत में वृद्धि जैसी बाधाओं के बावजूद, सागर और उनकी टीम ने हार नहीं मानी। अपनी दृढ़ता और नवाचार के दम पर उन्होंने न केवल कंपनी को संभाला, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक भी पहुँचाया।
छोटे कदमों से बनाई वैश्विक पहचान
पिता के तीन दशकों के अनुभव और सागर के युवा जोश ने मिलकर कमाल कर दिया। चार साल के भीतर ही, उनकी कंपनी का टर्नओवर 600 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। आज, एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स 100 से ज्यादा मशहूर कंपनियों के लिए काम करती है और हर महीने 1 लाख से अधिक टीवी का उत्पादन करती है।
कंपनी न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशी ब्रांड्स के लिए भी एलसीडी और एलईडी जैसे उत्पाद बनाती है, जिससे उसने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी मजबूत पहचान बना ली है। सोनीपत में स्थित कंपनी के कारखाने में 1,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, जहाँ वाशिंग मशीन, इंडक्शन कुकटॉप, मल्टीमीडिया स्पीकर और इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (IFPD) जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2024 में, कंपनी ने राजस्व में 1121.95% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की।
युवाओं के लिए प्रेरणा
सागर गुप्ता की कहानी युवाओं के लिए एक बड़ी सीख है। यह दर्शाती है कि सपनों की उड़ान तभी सफल होती है जब इरादों में दम हो। उन्होंने साबित कर दिया कि बाधाएं सिर्फ चुनौती हैं, और दृढ़ता, कड़ी मेहनत और नवाचार के साथ कोई भी व्यक्ति असंभव को संभव बना सकता है। उनकी सफलता की कहानी ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने और हजारों युवाओं को रोजगार देने का एक बेहतरीन उदाहरण है।